Budget: आत्महत्या से आत्मनिर्भरता तक के सफर में तेलंगाना की 5 बातें
आंध्रप्रदेश। मयंक दीक्षित- सालों का संघर्ष, आत्महत्याएं, आत्हदाह, आंदोलन, नारेबाजी की चक्की में पिसकर अलग राज्य बना तेलंगाना आज अपने पैरों पर खड़े होने की सफल कोशिश कर रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार के नए बजट में इस राज्य की उतनी ही फिक्र की गई, जितनी चुनावी भाषणों में की गई थी।
हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी का तेलंगाना में निर्माण एक नया और बेहतर कदम है। यह एक शुरुआत है, जिसके दम पर तेलंगाना में शासन-प्रशासन उसे मजबूती देकर पुराने ज़ख्मों को भर सकता है। आइए जानें ये 5 बातें जिनमें झलकता है तेलंगाना का ठीक होता ज़ख्म-
पहली सौगात
तेलंगाना मूल रूप से ये निज़ाम की हैदराबाद रियासत का हिस्सा था। इस बार के बजट में तेलंगाना के लिए अलग से पहली सौगात निकली कि यहां हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी।
अनोखा विभाजन
भाषा के आधार पर गठित होने वाला आंध्र प्रदेश पहला राज्य था। नरेंद्र मोदी जब चुनावी रैलियां करते थे, उनमें इस राज्य का कई बार जिक्र आया व योजनाओं से तेलंगाना के विकास पर मुहर लगाई है।
कम्यूनिसटों की पहल
40 के दशक में कामरेड वासुपुन्यया कि अगुवाई में कम्युनिस्टों ने पृथक तेलंगाना की मुहिम की शुरूआत की थी। जो सालों के संघर्ष के बाद जाकर पूरी हुई। इस बार भाजपा ने हरियााणा के साथ-साथ हॉर्टिकल्चर जैसी लाभकारी योजना इस राज्य के खाते में डाली।
पुराने योद्धाओं की मुहिम
1971 में नरसिंह राव को भी आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था क्योंकि वे तेलंगाना क्षेत्र के थे। फिर भाषा व इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर विभाजन का मुद्दा उठा व इस पर तमाम आंदोलन हुए व बड़ी संख्या में आत्महत्याएं व आत्मदाह हुआ।
के चंद्रशेखर राव
के चंद्रशेखर राव के प्रयासों के बाद आज हम तेलंगाना की नई तस्वीर देख पा रहे हैं। 1999 के चुनावों के बाद चंद्रशेखर राव को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा लेकिन उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया गया। 2001 में उन्होंने पृथक तेलंगाना का मुद्दा उठाते हुए तेलुगु देशम पार्टी छोड़ दी और तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन कर वहां की जनता का दिल जीता।