जानें कौन है खूंखार आतंकवादी और दाऊद का करीबी अब्दुल करीम टुंडा
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। लश्कर ए तैयबा का शीर्ष आतंकवादी, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का खासमखास, बम बनाने में माहिर और विस्फोट की करीब 40 घटनाओं को अंजाम देने वाला अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली पुलिस ने भारत-नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया है। टुंडा की गिरफ्तार काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि उससे पूछताछ में मोस्टवांटेड दाऊद इब्राहिम के बारे में जानकारी मिल सकती है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि टुंडा को भारत-नेपाल सीमा पर शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया है और उसे शनिवार को दिल्ली की एक अदालत के सामने पेश किया जाएगा।
बम एक्सपर्ट अब्दुल करीम टुंडा की उम्र 70 साल है और वो 21 आतंकवादी मामलों में वांछित था। 20 साल की फरारी के दौरान वह कई देशों में रहा। 1993 के धमाकों के बाद वह बांग्लादेश पहुंचा और उसके बाद पाकिस्तान पहुंच गया। कराची और लाहौर में उसे रहने के ठिकाने उपलब्ध कराए गए। वह आतंकी ट्रेनिंग कैंपों में जाता था और नए आतंकियों को ट्रेनिंग देता था। जब उसके आका उसे कुछ हिदायत देते, तो वह नेपाल, बांग्लादेश या किसी अन्य देश जाता और असाइनमेंट पूरा कर लाहौर या कराची लौट आता था।
पिलखुवा का रहने वाला है
दिल्ली से महज 70 किलोमीटर दूर पिलखुवा के रहने वाले अब्दुल करीम टुंडा का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया जब 1993 में मुंबई में सीरियल बम ब्लास्ट हुए। 26/11 मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान सरकार को भारत की तरफ से सौंपी गई मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में अब्दुल करीम टुंडा का नाम 15 वें नंबर पर था। 'बम गुरु' टुंडा को हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू और गुजराती भाषाओं में धारा प्रवाह बोलने में माहिर माना जाता है। दिसंबर 1993 में मुंबई समेत देश के विभिन्न हिस्सों में कई ट्रेनों में विस्फोट हुए थे। पता चला कि विस्फोटों का मास्टर माइंड सईद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा है।
इसके बाद दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने अशोक नगर में छापा मारा। छापे से पहले ही टुंडा फरार हो गया था। उसके घर में सुरक्षा एजेंसियों को भारी तादाद में विस्फोटक, डेटोनेटर, पाक में बने हथियार और उर्दू में लिखे आपत्तिजनक दस्तावेज मिले। 1994 में गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के पास छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में 19 लोग मारे गए थे।
इस विस्फोट में भी टुंडा का नाम सामने आया। टुंडा के बारे में सूचनाओं के अनुसार 1982 में अचानक वह पत्नी जरीना को छोड़कर कई माह तक घर से गायब रहा। बाद में जब लौटा तो गुजरात के अहमदाबाद से मुमताज नाम की 18 साल की युवती से निकाह करके ले आया था, जबकि उसकी उम्र उस समय 42 वर्ष की थी। उल्लेखनीय है कि अब्दुल करीम का नाम टुंडा नहीं था बल्कि एक बम धमाके में उसका बांय पैर खराब हो गया था। पैर खराब होने के चलते उसे उसके साथी टुंडा कहने लगे थे।