आईएनएस विक्रांत जिसे देख खौफज़दा हुआ था पाकिस्तान
बेंगलुरु। एक तरफ भारत के स्वदेशी विमानवाहक आईएनएस विक्रांत की तस्वीरें इंटरनेट पर जबर्दस्त तरह से शेयर की गईं वहीं दूसरी तरफ भारतीय नौसेना ने आईएनएस विक्रांत को कबाड़खाने भेज दिया और जल्द ही इसके पुर्जों को निकाल कर उनकी नीलामी कर दी जायेगी।
द्धपोत के मामले में भार चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा है। पर हम उस विक्रांत को भूल गये, जिसे देखकर पाकिस्तान खौफज़दा हो जाया करता था। वैसे इसमें कोई शक नहीं है कि इस विक्रांत को देख भी पड़ोसी मुल्क के पसीने छूट गये होंगे।
वर्तमान को लेकर पाकिस्तान पर बातें बनाने से बेहतर होगा इतिहास के वो पन्ने पलटें और उस विक्रांत को देखें, जो भारतीय नौसेना में आज भी याद किया जाता है। हम जिस विक्रांत की बात कर रहे हैं, वो भरत ने 1957 में यूनाइटेड किंगडम से 1957 में खरीदा था। उसके बाद उसे 1961 में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। यह वो जहाज था, जिस पर से दर्जनों विमान उड़ान भर सकते थे, हेलीकॉप्टर लैंड कर सकते थे। वह विक्रांत पहला युद्धपोत था। यहां पर पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध की वो बातें जरूर बताना चाहेंगे, जिसमें विक्रांत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आईएनएस विक्रांत का निर्माण रॉयल नेवी ने एचएमएस हरक्यूलस (आर 49) के रूप में किया और टाइन नदी में 12 नवंबर 1943 में इसे उतारा गया। लेकिन इसे 22 सितंबर 1945 में लॉन्च किया गया, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध की वजह से इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया।
भारतीय नौसेना की बॉम्बे इकाई में शामिल इस युद्धपोत के पहले कमांडिंग ऑफीसर कैप्टन प्रीतम सिंह थे। भारत-पाकिस्ता युद्ध के दौरान विक्रांत को चित्तगंग में तैनात किया गया था। नौसेना के खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान नौसेना ने 4 दिसंबर 1971 को विक्रांत पर हमला करने के तमाम प्रयास किये, लेकिन नाकाम रहे। तब जाकर विशेष तौर पर विक्रांत को निशाना बनाने के लिये पाकिस्तान ने समुद्र के अंदर एक पंडुब्बी उतारी, जिसका नाम था पीएनएस गाज़ी। लेकिन इससे पहले गाज़ी विशाखापट्नम पहुंचती भारत के युद्धपोत आईएनएस राजपूत ने गाज़ी को समुद्र के अंदर ही ध्वस्त कर दिया।
आईएनएस विक्रांत पर तैनात नौसेना की टुकडि़यों ने पाकिस्तान के पसीने छुड़ा दिये थे, समुद्री सीमा पर पड़ोसी मुल्क के सारे प्रयास नाकाम कर दिये थे, जिसके लिये विक्रांत पर तैनात टुकड़ी को दो महावीर चक्र और 12 वीर चक्र से प्रदान किये गये।
आईएनएस विक्रांत कफ परेड म्यूजियम में
आज अगर आपको स्वदेशी विक्रांत के दादा के दर्शन करने हैं, तो मुंबई के कफ परेड में मरीन म्यूजियम में जा सकते हैं। जनवरी 1997 में भारतीय नौसेना से संन्यास लेने के बाद इसे यहीं रख दिया गया। यह एक मात्र विमानवाहक पोत है, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बनाया गया और आज एक संग्रहालय में रखा हुआ है।
यह है स्वदेशी विक्रांत
भारत ने सोमवार को अपना स्वदेशी विमानवाहक (आईएसी) 'विक्रांत' का जलावतरण कराया। इसके साथ ही यह चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा हो गया है। तीन अन्य देशों के पास ऐसे विशाल आकार के नौसेना प्लेटफार्म हैं। रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी की पत्नी एलिजाबेथ एंटनी ने मंत्रोच्चार के बाद युद्धपोत का जलावतरण कराया। जलावतरण से पहले उन्होंने पोत के सामने नारियल भी तोड़ा।
एनटनी ने किया लॉन्च
इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा कि विमानवाहक इस युद्धपोत का जलावतरण देश और नौसेना के लिए 'यादगार दिन' है। "वास्तव में यह देश के लिए गौरवशाली घड़ी है। यह हमें युद्धपोत की संरचना और निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के हमारे प्रयास को दर्शाता है। इस तरह की क्षमता कुछ चुने हुए देशों के ही पास है।"
क्यों खास है विक्रांत
अपनी सामुद्रिक हितों को सुरक्षित करने के लिए भारत को अपनी स्वदेशी क्षमता को मजबूत बनाने का काम जारी रखना चाहिए। युद्धपोत निर्माण कार्यक्रम नौसेना की बल संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा। किसी प्रकार के दुस्साहस से निपटने के लिए हमारी नौसेना को सदैव उच्चस्तर की तैयारी बनाए रखनी होगी।
युद्धपोतों को टक्कर देगा
विक्रांत का भार 37,500 टन है, जो अमेरिका, यूके, रूस और फ्रांस के युद्धपोतों को टक्कर देगा। इस जहाज की लंबाई 260 मीटर और चौड़ाई 60 मीटर है। इसे भारतीय नौसेना के बेड़े में 2018 तक शामिल कर लिया जायेगा। तब तक इस जहाज से तमाम परीक्षण किये जायेंगे।