दो सिर वाला कछुआ बना आकर्षण का केंद्र
सैन एंटोनियो। अमेरिका में घनी आबादी वाले शहर सैन एंटोनियो के चिडि़याघर में दो सिर वाला कछुआ आकर्षण का केंद्र बन गया है। यह कछुआ 18 जून को यहां लाया गया, जिसके बाद से इसे देखने वालों का तांता लगा हुआ है।
चिडि़याघर के प्रवक्ता डेब्बी रियो वैन्सकिके ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह कछुआ पूरी तरह स्वस्थ्य है और यह चल और पानी में तैर भी सकता है। उन्होंने बताया कि यह मादा कछुआ है इसके नाम थेलमा और लुइस रखा गया है। यह नाम 1991 में ऑस्कर जीतने वाली दो अदाकारों के नाम पर रखा गया है। सैन एंटोनियो के चिडि़याघर में इससे पहले दो सिर वाले सांप भी लाया जा चुका है। उसे 1978 में लाया गया था, लेकिन 1995 में उसकी मौत हो गई।
असल में दो सिर वाले जानवरों की अवस्था को पॉलीसिफेली कहा जाता है। इसके अंतर्गत शारीरिक विकार की वजह से किसी भी जानवर या मनुष्य के दो सिर हो जाते हैं। दर्ज हुए इतिहास में ऐसा मामला पहली बार 1460 में आया था, जब स्कॉटलैंड में दो सिर वाले बच्चे को देखा गया। हालांकि उसके बाद कई मामले और भी दर्ज हुए।
कछुआ
यह कछुआ 18 जून को यहां लाया गया, जिसके बाद से इसे देखने वालों का तांता लगा हुआ है।
दो सिर वाले सांप
दो सिर वाले सांप मिलना आम बात होती है।
दो सिर वाले
दो सिर वाले जिराफ, दो सिर वाले चूहे, बिल्ली, कुत्ता, आदि भी देखे जा चुके हैं।
जीवित नहीं रहे
दो सिर वाले मनुष्यों के मामले अभी तक बहुत कम आये हैं। जहां भी आये, उनमें से अधिकांश मामलों में बच्चे ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहे।
जब-जब पैदा होते हैं
दो सिर वाले जानवर या मनुष्य जब-जब पैदा होते हैं तो सुर्खियां बनते हैं। कम से कम स्थानीय अखबारों की तो जरूर।
काल्पनिक कहानियों में
दो सिर वाले जानवरों का विवरण काल्पनिक कहानियों में भी मिलता है। यही कारण है कि दो सिर वाली चील को चिन्ह की तरह इस्तेमाल किया जाता है, जबकि आज तक ऐसी कोई चील नहीं पायी गई।