सर्वे- आम चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ेगा मोदी का कद
बैंगलोर। देश में नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद, युवाओं में बढ़ती उनकी लोकप्रियता और विकास के कार्यों के आधार पर यह कहा जा रहा है कि उनके नेतृत्व में ही भाजपा लोकसभा चुनाव 2014 में बड़ी सफलता दर्ज कर सकती है। यहां देश के चार बड़े राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन का आकलन किया गया है, जहां मोदी एक बड़ा अन्तर पैदा कर रहे हैं।
यह आकलन इन राज्यों में पार्टी के 2009 के आम चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर किया गया है। यह चार राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश हैं। इस सर्वे में उन राज्यों में भी पार्टी के प्रदर्शन का आकलन किया गया है जहां मोदी भाजपा के लिए एक बड़ा फैक्टर हो सकते हैं। यह आकलन नीति सेंट्ल ने किया है।
उत्तर प्रदेश- लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। नब्बे के दशक में यह प्रदेश भाजपा का गढ़ माना जाता था। भाजपा तब अपने चरम पर थी क्योंकि यह दौर आडवाणी और वाजपेयी का था, लेकिन इस बार फिर भाजपा कार्यकर्ता पहले की तरह जोश से भरे हुए हैं और हाल ही के कई सर्वे भी यहां भाजपा की सीटें बढ़ने की बात कह रहे हैं।
संभावनाओं को देखते हुए नरेंद्र मोदी ने अपने मास्टर रणनीतिकार अमित शाह को यहां भेज दिया है। हालांकि लगभग पिछले दो दशकों से प्रदेश की राजनीति दलितों और सवर्णों में विभाजित है लेकिन मोदी के कैम्पेन ने राज्य में हलचल तो पैदा कर ही दी है, अब देखने वाली बात होगी कि क्या मोदी के बयार में बहने वाली हवा उन्हें वोट दिला सकती है। राजनीतिक पंडितों के सामने भी यही सवाल है कि क्या विकास की राजनीति यहां जीत दर्ज कर सकेगी। पार्टी यहां 45 सीटें जीतने पर नजर लगाये हुए है। इस मामले पर पूर्व वाराणसी के रहने वाले और पूर्व नौसेना अधिकारी शैलेश पांडेय का कहना है कि तीन कारण हैं जो इस समय मोदी का समर्थन कर रहे है-
पहला-
उनमें
आम
जनता
अपना
भविष्य
देख
रही
है।
दूसरा-
वह
एक
जमीन
से
जुड़े
हुए
नेता
हैं।
तीसरा-
उनके
पास
एक
मजबूत
टीम
है।
उन्होने लोकसभा चुनाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण राज्य में पार्टी की संभावनाओं के बारे मे कहा है कि यह जानने के लिए हमने पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर तीन भागों में विभाजित कर लिया है।
ग्रुप वन- इसमें उन सीटों को शामिल किया गया है। जहां पर पार्टी ने जीत हासिल की है या फिर 2009 में प्रत्याशी ने हार के बावजूद मजबूत प्रदर्शन किया है। इस ग्रुप में उन सीटों को भी शामिल किया गया है, जहां पार्टी को पचास हजार से कम वोट से हार का सामना करना पड़ा है। ऐसी लगभग 24 सीटें हैं।
ग्रुप टू- इस ग्रुप में उन संसदीय क्षेत्रों में शामिल किया गया है। जहां भाजपा को पचास से ज्यादा और 80 हजार से कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। इस ग्रुप में 6 सीटें हैं।
ग्रुप सी- इस ग्रुप में उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जो नब्बे के दशक और उससे पहले पार्टी की मुख्य गढ़ रही हैं। इनमें लगभग 18 सीटें हैं। कुल मिलाकर पार्टी इन 48 सीटों पर पार्टी को पूरी क्षमता से जीत के प्रयास करना होगा और यहां पार्टी की जीत की संभावनाएं भी हैं।
महाराष्ट्र- यह ऐसा राज्य है जहां की 25 सीटों पर एनसीपी-कांग्रेस और भाजपा (शिवसेना के साथ आने पर) की सीधी टक्कर होगी। जहां एनडीए की कड़ी परीक्षा होगी। यहां की संसदीय सीटों को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
ग्रुप
ए-
ऐसी
सीटें
जहां
भाजपा
ने
2009
में
जीत
हासिल
की
थी।
इनकी
संख्या
नौ
हैं।
ग्रुप
बी-
ऐसी
सात
सीटें
हैं
जहां
2009
में
भाजपा
को
तीस
हजार
से
कम
वोटों
से
हार
का
सामना
करना
पड़ा
था।
इनकी
संख्या
सात
है।
ग्रुप
सी-
ऐसी
सीटें
जहां
पार्टी
को
अस्सी
हजार
से
कम
वोटों
से
हार
का
सामना
करना
पड़ा
था
और
पार्टी
की
जीत
की
संभावनाएं
हैं।
इन
सीटों
की
संख्या
तीन
है।
महाराष्ट्र
में
19
सीटें
ऐसी
हैं
जहां
पर
भाजपा
जीत
दर्ज
कर
सकती
है।
भाजपा की जीत की संभावनाओं के बारे में वेटरन ट्रेड यूनियनिस्ट वेंकटराव पाटिल का कहना है कि 1955 से इन क्षेत्रों पर कांग्रेस और एनसीपी की पकड़ ढीली ही होती गयी है। ऐसे में यहां पार्टी की जीत की सर्वाधिक संभावनाएं है।
बिहार- अभी तक भाजपा ने यहां जदयू के साथ चुनाव लड़ा है। विश्लेषक बताते हैं कि नीतीश के कारण नीतीश के कारण लोवर कास्ट ने गठबंधन को वोट दिया, लेकिन अब भाजपा-जद(यू) गठबंधन टूट जाने के कारण भाजपा यहां से अकेले ही चुनाव लड़ेगी इस स्थिति में भाजपा की सीटें बढ़ रही है। बताया जा रहा है कि अगर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता है तो जनता नीतीश को नजरअंदाज कर सकती है। 2009 में भाजपा ने यहां की 15 में से 12 सीटों में जीत दर्ज की और तीन सीटों में बेहद कम मार्जिन से ही हार का सामना करना पड़ा है। अत: सीटों के आधार पर यहां के क्षेत्रों का वर्गीकरण इस प्रकार है-
ग्रुप
ए-
ऐसी
13
सीटें
हैं
जहां
भाजपा
ने
2009
के
आम
चुनाव
में
जीत
दर्ज
की
या
पांच
हजार
से
कम
वोटों
से
हार
का
सामना
करना
पड़ा।
ग्रुप
बी-
ऐसी
5
सीटें
हैं
जहां
अपर
कास्ट
के
लोगों
ने
वोट
ज्यादा
दिया
और
भाजपा
ने
जद(यू)
के
साथ
मिलकर
चुनाव
लड़ा।
ग्रुप
सी-
ऐसी
7
सीटें
हैं
जहां
नरेंद्र
मोदी
के
नेतृत्व
में
सीटें
बढ़ने
की
संभावना
है।
इन 25 सीटों पर भाजपा की जीत की संभावना है। अभी हाल ही में आये कुछ सर्वे यह बताते हैं कि मोदी के नेतृत्व के प्रभाव से यहां सीटों के बढने की पूरी संभावना है।
आंध्र प्रदेश- ऐसा आमतौर पर कहा जाता है कि दक्षिण भारत मे भाजपा का अस्ितत्व नहीं है पर तेलंगाना क्षेत्र में भाजपा का प्रभाव है। विश्लेषकों का मानना है कि मोदी जैसे मजबूत नेता के आने से यहां पार्टी की संभावनाएं बढ़ सकती है। जैसे पहले भी अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में पार्टी ने तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में जीत हासिल की थी। यह भी बताया जा रहा है कि अगर पार्टी तेलंगाना मु्द्दे को अपने घोषण पत्र में शामिल कर सकी तो जरूर लाभ की स्थिति में हो सकती है। संभावना के आधार पर पार्टी की जीत की इन प्रयासों पर निर्भर करती है।
ग्रुप ए- ऐसी चार सीटें हैं जहां पर पार्टी ने 2009 लोकसभा चुनाव में एक लाख से ज्यादा वोट अर्जित किये। इस बार तेलंगाना मुद्दे और नरेंद्र मोदी के कारण इन वोटों की संख्या दोगुनी हो सकती है।
ग्रुप बी- ऐसी तीन सीटें हैं जहां पर पार्टी ने पांच फीसदी वोट हासिल किया। नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार अभियान के कारण यहां वोट प्रतिशत बढ़ सकता है।
ग्रुप सी- ऐसी तीन सीटें हैं जहां पार्टी फिल्म सितारों और कार्यकर्ताओं के प्रयासों से ग्रोथ कर सकती है।
इन चार राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, झारखंड और छत्तीसगढ़ वो राज्य हैं जहां पर पार्टी की सीधी टक्कर कांग्रेस से है। इनमें से मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात भाजपा के बेहद मजबूत राज्य हैं। इनमें से कई राज्यों में वर्ष के अंत में चुनाव होने वाले हैं। जहां पार्टी को लाभ मिल सकता है क्योंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस बैकफुट पर है।
उपरोक्त राज्यों के अलावा तमिलनाडु, उड़ीसा, पंजाब, हरियाणा, असम और उत्तर पूर्व के राज्यों में 118 सीटें हैं। जहां पर स्थानीय पार्टियों से गठबंधन के आधार पर भाजपा को लाभ मिल सकता है। वहीं गोवा, हिमांचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में दर्जन पर सीटें हैं जो कि पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
ये आंकड़े भाजपा की देश में मजबूत स्थिति दर्शाते हैं कि आने वाले चुनाव भाजपा एक प्रमुख पार्टी के रूप में उभर कर आ सकती है।
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