क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

भारतीय सेना की तैयारियों से टेंशन में चीन

By Ajay Mohan
Google Oneindia News

[नवीन निगम] दौलत बेग ओल्डी में पड़ोसी देश चीन की सेना 19 किमी तक घुस आयी, जिसके बाद कूटनीतिक विवाद छिड़ गये। दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच बातचीत के सिलसिला शुरू हो गया। सच पूछिए तो इस जगह पर चल रही भारतीय सेना की तैयारियों ने चीन को चौकन्‍ना कर दिया है।

दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी पिछले कुछ सालों में तैयार की गई वायुसेना की तीन एडवांस लैंडिंग ग्राउंडों में से एक है। वास्तिवक नियंत्रण रेखा के निकट स्थित दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय तैयार की गई थी। लेह में 16,200 फीट ऊंचाई पर स्थित इस एयरफील्ड पर 31 मई 2008 को एएन 32 हवाई जहाज की लैंडिंग सेना व वायुसेना के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इस ग्राउंड के करीब चीनी सेना की मौजूदगी सैन्य दृष्टि से बड़ी चुनौती है।

पहाड़ की जंग में उसी सेना का पलड़ा भारी रहता है जिसकी वायु सेना दमदार होती है क्योंकि यदि जंग हुई तो उसमें मिसाइल का प्रयोग नहीं होगा। जंग हुई भी तो सीमित इलाके में होगी। रक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि भारत और चीन के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। इन विशेषज्ञों के मुताबिक चीन भारत के इलाकों में घुसकर और सीमा पर सैन्य जमावड़ा बनाकर भारत पर लगातार दबाव बनाने की रणनीति पर अमल कर रहा है। इसके जरिए चीन अपनी शर्तों पर सीमा का बंटवारा चाहता है।

भारत की दौलत बेग ओल्डी, फूकचे और न्यौमा में तीन एडवांस हवाई पट्टी है। न्यौमा को पूरी तरह से एयरबेस के रुप में विकसित किया गया है। इसीलिए वायुसेना ने सुखोई की तैनाती हल्द्वारा, बरेली, तेजपुर और झाबुआ में की है,जिससे वह पलभर में चीन सीमा पर आक्रमण कर सके। जानकार बताते है कि चीन के पास सुखोई जैसा कोई विमान नहीं है एक अकेला सुखोई विमान सारी लड़ाई का नक्शा बदल सकता है। दूसरी तरफ चीन ने रेल और सड़कों का जाल बिछा रखा है जिससे चीनी सैनिकों को काफी मदद मिलती है। गोलमो, लोहासा रेल लिंक से चीनी सैनिकों को हर मदद मिलती रहती है।

ज्ञात हो कि दौलत बेग ओल्डी एयरफील्ड को खोलने के बाद चीन की सीमा पर हाई अलर्ट इसलिए जारी किया गया था क्योंकि चीन इस हवाई पट्टी के खुलने के बाद से नाराज चल रहा है और इसी इलाके में उसकी ताजा घुसपैठ उसकी नाराजगी को दर्शाती है। लद्दाख सेक्टर में 646 किमी लंबी सीमा पर चीन की ओर से लगातार बढ़ रहे सैन्य दबाव के बीच भारत ने वर्ष 2008 की 31 मई को लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा से महज 25 किलोमीटर भीतर अपनी एक और हवाई पट्टी खोली थी। इससे पहले वर्ष 2009 में मई तथा नवम्बर महीने में उसने दो अन्य हवाई पट्टियों को खोल कर चीन को चिढ़ाया जरूर था। लद्दाख में वायु सेना ने हाल के समय में यह तीसरी हवाई पट्टी चालू की है।

इससे पहले दौलत बेग ओल्डी और फुकचे में वायु सेना ने अपनी हवाई पट्टी चालू की थी। डीबीओ की हवाई पट्टी कराकोरम रेंज में चीन सीमा से महज 25 किलोमीटर के भीतर है तथा फूकचे की हवाई पट्टी चुशूल के पास है। वायु सेना ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया था जब लद्दाख में पहले चीनी हेलीकॉप्टर के अतिमण की घटना सामने आई और इसके बाद इसी क्षेत्र के चुमर इलाके में चीन के सैनिक डेढ़ किमी भीतर तक घुस आए थे।

वायु सेना की नियोमा हवाई पट्टी लेह जिले में है और यहां से दूरदराज की चौकियों तक रसद पहुंचाई जा सकेगी और पर्यटन को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी को 31 मई 2008 को चालू किया गया था। उस समय पश्चिमी कमान के तत्कालीन प्रमुख एयरमार्शल बारबोरा एएन-32 विमान से वहां उतरे थे। लद्दाख में चीन सीमा से सटे इलाकों में भारतीय सैन्य तैयारियों से ही चीन चिढ़ा हुआ है और वह भारत पर लगातार दबाव बनाए हुए है कि एलएसी से सटी सभी हवाई पट्टियों को तत्काल बंद कर दे पर चीन के खतरे को भांपते हुए भारत ऐसा करने के पक्ष में नहीं है। आगे पढ़ें- भारतीय एयरबेस से खतरा महसूस कर रहा चीन।

Comments
English summary
The main reason behind the incursion of Chinese Army is that China is very much tensed with the deployment of more troops on border.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X