जुर्म के 'राजा भैया' ने ले ली जिया उल हक की बलि
जी हां हम यहां बात कर रहे हैं कुंडा के डिप्टी एसपी जिया उल हक की जिसका ताजा नाम आईपीएस नरेन्द्र कुमार, नीतीश कटारा, सत्येन्द्र दूबे और यशवंत जैसे इमानदारी के जौहर दिखाने वालों के फेहरिस्त में दो दिन पूर्व दर्ज हुआ है। शनिवार को प्रतापगढ़ में दंगे को काबू में करने आये जिया उल हक की हत्या कर दी गई। हत्या का इल्जाम कद्दावर और बाहूबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर लगा है। जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद ने पुलिस को लिखित शिकायत दी है जिसके बाद से राजा भैया को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या राजा भैया को गिरफ्तार किया जायेगा?
यूपी में सत्ता की तस्वीर भले ही बदल जाए पर सत्ता पर काबिज लोग यूपी की तकदीर बदलने नहीं देते। वैसे तस्वीर बदले भी तो कैसे? जिन्हें कायदे से जेल में होना चाहिए जब उन्हीं को राज्य की जेलों का मालिक बना दिया जाएगा तो फिर ऐसे सूबे का तो ऊपर वाला ही मालिक होगा। राजा भैया तो याद हैं ना आपको? जी हां वही जो कई बार जेल हो आए हैं। और शायद उनके बार-बार जेल जाने के इसी तजुर्बे को देखते हुए अखिलेश यादव ने उन्हें राज्य की जेल का मंत्री ही बना दिया था।
राजा भैया, आप सियासत कर रहे हैं या गुंडागर्दी बात एक ही है। आप राजा हैं या बाहूबली ये भी एक बात है। मगर एक सवाल का जवाब का दीजिएगा कि आखिर कबतक हम सियासत में गुंडागर्दी को गलत मानते रहें और इसे रोकने के लिये अपनी जान गंवाते रहें? हमें तो तब भी शर्म नहीं आती जब ड्यूटी करते हुए मौत को गले लगाने वाले जिया उल हक के पत्नी चिल्ला-चिल्ला कर अपने शौहर के कातिल का नाम ले रही है और हमारे नेता वहीं घिसा-पिटा जुमला पढ़कर कन्नी काट लेते हैं कि ''जांच होगी और कार्रवाई की जायेगी''।
जिया उल हक की बीबी को सही मानिए क्योंकि उसकी तो दुनिया लुट गई है और वो अब अपनी दुनिया लूटने वालों का नाम बता रही है। आप यह जानकार सन्न रह जायेंगे कि शनिवार की रात जिस वक्त जिया उल हक की हत्या हुई थी कायदे से उस वक्त उन्हें लखनऊ में होना चाहिए था। जिया उल हक ने चार दिनों की छुट्टी ली थी। उन्होंने अपनी पत्नी जो लखनऊ के बीबीडी कॉलेज से डेंटल की पढ़ाई कर रही है से वादा किया था कि वो उसके साथ वक्त बिताएंगे। मगर इससे पहले कि वो लखनऊ के लिये निकलते गांव में गोली चलने की खबर आ गई और थोड़ी देर बाद उनके मौत की।
इस मामले में आगे क्या होगा ये तो वक्त बताएगा मगर अखिलेश राज में उत्तर प्रदेश पूरी तरह बदहाल है। एक पुरानी कहावत है कि जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था। यूपी में बढ़ते अपराधों पर यही कह सकते हैं कि यूपी जल रहा है और सीएम भरोसा दिला रहे हैं। भरोसा कि सब ठीक हो जाएगा। तो जरा संभाल के अखिलेश जी, 2014 में लोकसभा चुनाव होने हैं और आपके पिता जी ने देश चलाने का ख्वाब देख रखा है कहीं ऐसा ना हो कि यूपी में चल रहा गुंडागर्दी का तांडव और शहीद हक की मासूम बीवी के सिसकते आंसू आपके वालिद मुलयाम सिंह के उस पीएम ख्वाब को चकनाचूर ना कर दें जिसके चलते उन्होंने बदहाल यूपी का सिंहासन अपने नासमझ टीपू के हाथ में सौंप दी थी। क्योंकि लोग कहते हैं किस की हाय नहीं लेनी चाहिए क्योंकि औरत के सीने से निकलने वाली हाय.. से ऊपरवाला भी डरता है तो फिर आप तो एक इंसान ही ठहरे।