नई तकनीक से एक मिनट में बनेंगे 7,200 टिकट
निगम अधिकारियों की मानें तो वर्तमान में वेबसाइट पर एक मिनट में दो हजार से भी कम ई-टिकट बन पाते हैं। इससे अधिक टिकट बनना मुश्किल है या फिर ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है। इसके अलावा अभी सिर्फ 40,000 उपयोगकर्ता ही एक समय में पोर्टल का इस्तेमाल कर पाते हैं। भविष्य में यह संख्या बढ़ाकर कम से कम 1,20,000 करने की तैयारी है। साथ ही यह विकल्प भी रखा जाएगा कि जरूरत पड़ने पर वेबसाइट की क्षमता को आसानी से बढ़ाया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि नेक्स्ट जेनरेशन ई टिकट प्रणाली को हाईटेक करने के लिए एडवांस फ्रॉड कंट्रोल व सिक्योरिटी मैनेजमेंट टूल्स का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे टिकटों के वितरण में और अधिक पारदर्शिता लाई जा सकेगी और हैकरों से सॉफ्टवेयर को बचाया जा सकेगा। विशेषज्ञों की राय लेकर वेबसाइट को अपडेट भी किया जाएगा, जिससे तत्काल के समय इस पर एक भी टिकट न बन सके।
रेलवे आरक्षण केंद्रों पर भीड़ कम करना चाहता है। दरअसल, इन केंद्रों में तैनात कर्मचारियों के वेतन पर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ता है। नए सॉफ्टवेयर से वेबसाइट पर ज्यादा से ज्यादा टिकट बुक हो सकेंगे और आरक्षण केंद्रों पर भीड़ कम होगी। रेलवे अधिकारी कहते हैं कि शहरों में आरक्षण केंद्रों की संख्या कम हो गई है। जिन जगहों पर पहले अधिक काउंटर खुलते थे, अब वहां त्योहारों में ही पूरे काउंटर खुलते हैं।
आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने बताया ०ि००क 1 मार्च 2013 को पांच लाख से अधिक टिकट बनाकर निगम ने इतिहास रच दिया। इससे पहले एक दिन में इतने ऑनलाइन टिकट नहीं बने थे। भविष्य में नया सॉफ्टवेयर होने पर यह क्षमता कई और गुना बढ़ जाएगी।