100 में मिले 102 नबंर! डीयू में सब पॉसिब्ल है भाई
दिल्ली युनिवर्सिटी में सिमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद कई छात्र ऐसे है जिन्हें मैक्सिमम से अधिक अंक मिले है। एक-दो उदाहरण अगर दिया है तो बीएससी के सेकेंड इयर के एक छात्र को इंटरनल असेंसमेंट और रिटेन एक एक्जाम 50 अंकों के पेपर में क्रमश 58 और 78 नबंर मिले है तो वही एक और स्टूडेंट को 55 में 58 अंक मिले। हद तो तब हो गई जब फिजिक्स के एक छात्र को 38 नबंर के पेपर में 58 नबंर मिल गए।
इतना ही नहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ फैकल्टी ने इसी तरह के अचंभे वाले नबंर मिलने के बाद एक स्टूडेंट को एडमिशन देने से इंकार कर दिया। गौर करने वाली बात तो ये है कि अगर गलती विश्वविद्यालय की ओर ये हो रही है तो इसका खामियाजा स्टूडेंट क्यों भरे।
मामला प्रकाश में आने के बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने अपनी गलती मान ली है। अधिकारियों ने दलीली दी है कि परीक्षाओं में अधिक संख्या में छात्रों के शामिल होने पर इस तरह की संभावनाएं बनी रहती है। उनकी दलील है कि उनके ऊपर 15 दिनों के अंदर 122 विषयों में 1.30 लाख छात्रों के परिणाम घोषित करने का प्रेशर बना होता है, प्रेशर के दौरान इस तरह की गलतियां हो जाती है।
विश्वविद्यालय के अधिकारी भले ही इस तरह की दलीले देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हो लेकिन इस तरह की गलतियों का बार-बार होना गैरजिम्मेदाराना हरकत है।