महाकुंभ का अध्ययन कर रही हारवर्ड यूनिवर्सिटी
इलाहाबाद। इलाहाबाद में महाकुंभ के आयोजन स्थल पर चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। बड़ी-बड़ी स्क्रीन हैं, जहां खोये हुए व्यक्तियों के संबंध में सूचना दी जा रही है। 7 लाख टेंट लगे हुए हैं और हर रोज 25 हजार टन भोजन श्रद्धालुओं के लिये भेजा जा रहा है। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच चल रहे महाकुंभ के मेले पर सिर्फ भारत ही नहीं कई अन्य देशों की भी नज़र है। खास बात यह है कि हारवर्ड विश्वविद्यालय जैसे संस्थान इस आयोजन का अध्ययन कर रहे हैं।
हारवर्ड विश्वविद्यालय के शोधछात्र इस समय महाकुंभ में लैपटॉप, कैमरा आदि लेकर पहुंचे हुए हैं। हारवर्ड विश्वविद्यालय ने एक टीम का गठन किया है, जिसमें साउथ एशिया इंस्टीट्यूट, हारवर्ड डिवाइनिटी स्कूल, कला एवं विज्ञान संकाय, हारवर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ डिजाइन, हारवर्ड बिजनेस स्कूल, हारवर्ड मेडिकल स्कूल और हारवर्ड सकूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के संयुक्त तत्वावधान में एक अध्ययन किया जा रहा है। नीचे तस्वीर पर क्लिक करें और देखें महाकुंभ की ढेरों तस्वीरें-
इस बात की जानकारी साउथ एशिया इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर दी है। संस्थान ने अपनी साइट पर लिखा है, "हर 12 साल में इलाहाबाद में एक अस्थाई शहर बनाया जाता है, जो बन चुका है और इसे कुंभ मेला कहते हैं। इस दौरान इस शहर का नक्शा तैयार किया जाता है। खाने-पीने की सुविधाएं दी जाती हैं, वॉटर सप्लाई के लिये पाइप डाले जाते हैं, बिजली की व्यवस्था की जाती है। अस्थाई मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल बनाया गया। इस छोटे से शहर की सुरक्षा के लिये भारी पुलिसबल तैनात किया गया। रात को कई सारे आयोजन होते हैं। यहां वैक्सिनेशन की व्यवस्था और न जाने क्या-क्या व्यवस्था की गई है। कुल मिलाकर देखा जाये तो कुंभ मेला की जनसंख्या न्यूयॉर्क, लंदन और पैरिस को मिला दिया जाये तो उससे भी ज्यादा है। इन तीन शहरों की व्यवस्था में जितने प्रयास किये जाते हैं, उनसे कहीं अधिक कुंभ मेले के आयोजन में होते हैं।"
कुल मिलाकर देखा जाये तो भारत के लिये यह गर्व की बात है, कि यहां के सबसे बड़े पर्व को पूरे देश में ख्याति मिलती है। हम आपको बता दें कि इस समय कुंभ मेले के कवरेज के लिये विदेशी मीडिया के सैंकड़ों पत्रकार आये हुए हैं।