कसाब के घर जाने से पाकिस्तानी मीडिया को रोका
लाहौर। पाकिसतान सरकार ने अजमल कसाब का शव लेने से इंकार कर दिया। उसके पीछे यह तर्क दिया कि कसाब उनका नागरिक नहीं है। आज कसाब को फांसी दिये जाने के बाद जब पाक मीडिया कसाब के गांव में प्रवेश कर रहा था, तो सरकारी सुरक्षाबलों ने उन्हें क्यों रोक दिया। यह कोई सामान्य घटना नहीं है। यह घटना साफ दर्शाती है कि पड़ोसी देश की सरकार माने या नहीं माने, कसाब था तो पाकिस्तानी ही।
हुआ यूं कि पुणे में कसाब को फांसी दिये जाने की खबर जब देश-दुनिया में फैल गई, तो पाकिस्तानी मीडिया के कई चैनलों के पत्रकार पंजाब प्रांत में स्थित कसाब के गांव की ओर चल दिये। सोचा कि गांव जाकर उसके माता-पिता का हाल लेंगे और शोक में डूबे परिवार की व्यथा को दुनिया के सामने रखेंगे। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया।
दोपहर को जब ये लोग कसाब के गांव में प्रवेश ही कर रहे थे कि सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक लिया। असल में कसाब की फांसी की खबर आने के बाद गांव में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। कसाब का गांव लाहौर से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित फरीदकोट में है। लोगों ने मीडियाकर्मियों के कैमरे छीन लिये और धमकियां भी दीं।
वहां के सुरक्षाकर्मियों व लोगों ने मीडिया से कहा कि दुश्मन देश ने जो किया है, उसे लेकर अपने देश को बदनाम क्यों कर रहे हो।
तस्वीर में देखें अजमल कसाब का भारत में जीवन-