हरहर महादेव से गूंज रहे देश भर के शिवालय
देश भर से जो खबरें आ रही हैं उसके अनुसार, भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों की पूजा-अर्चना के लिए शिवभक्तों का तांता लगा हुआ है। बैद्यनाथ धाम में कांवड़ियों की करीब चार किलोमीटर लम्बी कतारें लगी हुई हैं। आशा व्यक्त की कि सोमवार को करीब 80 से 90 हजार लोगों के मंदिर में जलाभिषेक करने पहुंचेंगे।
वाराणसी, हरिद्वार औऱ सभी शहरों में स्थानीय मंदिरों पर श्रद्धालु भगवान शिव से वरदान मांगने के लिए उनके दर पर पहुंचे हैं। शास्त्रों के अनुसार, श्रावण मास भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है। इस माह में शिवार्चना के लिए प्रमुख सामग्री बेलपत्र और धतूरा सहज सुलभ हो जाता है। सच पूछा जाए तो भगवान शिव ही ऐसे देवता है, जिनकी पूजा-अर्चना के लिए सामग्री को लेकर किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। अगर कोई सामग्री उपलब्ध न हो तो जल ही काफी है। भक्ति भाव के साथ जल अर्पित कीजिए और भगवान शिव प्रसन्न।
भगवान शकर का यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है। इस मास में लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ करके प्रत्येक सोमवार को शिवजी का व्रत किया जाता है। प्रात: काल गंगा या किसी पवित्र नदी सरोवर या घर पर ही विधि पूर्वक स्नान करने का विधान है। इसके बाद शिव मंदिर जाकर या घर में पार्थिव मूर्ति बना कर यथा विधि से रुद्राभिषेक करना अत्यत ही फलदायी है। इस व्रत में श्रावण महात्म्य और विष्णु पुराण कथा सुनने का विशेष महत्व है।
ऐसे करें पूजा
सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।
सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
सावन
सोमवार
को
ब्रह्म
मुहूर्त
में
सोकर
उठें।
पूरे
घर
की
सफाई
कर
स्नानादि
से
निवृत्त
हो
जाएं।
गंगा
जल
या
पवित्र
जल
पूरे
घर
में
छिड़कें।
घर
में
ही
किसी
पवित्र
स्थान
पर
भगवान
शिव
की
मूर्ति
या
चित्र
स्थापित
करें।
पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें-
‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं
रजतगिरिनिभं
चारुचंद्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलांग
परशुमृगवराभीतिहस्तं
प्रसन्नम्।
पद्मासीनं
समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं
वसानं
विश्वाद्यं
विश्ववंद्यं
निखिलभयहरं
पंचवक्त्रं
त्रिनेत्रम्॥'
ध्यान के पश्चात ‘ऊं नमः शिवाय' से शिवजी का तथा ‘ऊं नमः शिवायै' से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें। तत्पश्चात आरती कर प्रसाद वितरण करें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।