'सचिन के नाम पर भाजपा संकीर्ण मानसिकता की शिकार'
शेरखान ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "भाजपा, शिवसेना एवं आरएसएस जैसी पार्टियां एवं संस्थाएं सचिन के राज्यसभा में मनोनयन को लेकर संकीर्ण मानसिकता का परिचय दे रही हैं। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद इन पार्टियां को इस बात का अफसोस होगा कि उन्होंने यह अवसर क्यों नहीं लपका।" उन्होंने कहा कि सचिन ऐसी शख्सियत हैं, जिन्हें इस देश में हर वर्ग, आयु एवं समुदाय के लोगों की स्वीकार्यता हासिल है।
यह पूछने पर तेंदुलकर ने आज तक क्रिकेट के अलावा कुछ सोचा नहीं है, क्या वह राज्यसभा में सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दे उठाने में सक्षम होंगे, पूर्व हाकी ओलंपियन शेरखान ने कहा कि तेंदुलकर जिस सोच के व्यक्ति हैं, उनके लिए यह कोई कठिन कार्य नहीं है। राजनीति में कोई जन्मजात संपूर्ण नहीं होता, जो भी सीखता है, अनुभव के आधार पर ही सीखता है।
उन्होंने कहा कि सचिन के मामले में भाजपा जैसे राजनीतिक दलों ने जिस तरह हाय-तौबा मचा रखी है, वह उचित नहीं है। कांग्रेस, एक पार्टी ही नहीं जीवन दर्शन भी है, जिसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी की श्रंखला के अनेक मूर्धन्य नेताओं ने सींचा है। शेरखान ने कहा कि सचिन जैसे महान खिलाड़ी को राज्यसभा में मनोनीत करना एक उचित निर्णय है और इसे मंजूर करना तेंदुलका जैसे परिपक्व व्यक्ति का अपना निर्णय है, जिसका हर देशवासी को सम्मान करना चाहिए।