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राष्ट्रपति ने त्‍यागा पुणे के घर में रहने का इरादा

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President Pratibha Patil
नयी दिल्ली। विवादों के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने आज सेवानिवृत्ति के बाद पुणे में आवंटित आवास को छोड़ने की घोषणा की। राष्ट्रपति भवन ने एक वक्तव्य में कहा कि कुछ लोगों द्वारा मामले को युद्ध विधवाओं के आवास से जोड़े जाने पर राष्ट्रपति ने पुणे में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद बनने वाले प्रस्तावित आवास के आवंटन को त्यागने का फैसला किया है।

वक्तव्य में पुणे के आवास का हवाला दिया गया लेकिन यह साफ नहीं हो पाया कि राष्ट्रपति की सेवानिवृत्ति के बाद क्या योजनाएं हैं। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने बताया कि यह उनका फैसला है। उन्‍होंने कहा कि भावी योजना पर वह सही समय पर फैसला करेंगी। पुणे के खाडकी कैंट में उनके प्रस्तावित आवास से जुड़ी जमीन को लेकर चल रहे विवाद को विराम देने की मांग करते हुए वक्तव्य में कहा गया कि उम्मीद है कि इससे सारे संदेह खत्म हो जाएंगे।

एनजीओ ग्रीन थंब के हिस्सा पुणे स्थित जस्टिस फॉर जवान के सेवानिवृत्त ले. कर्नल सुरेश पाटिल ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पुणे में 2.6 लाख वर्गफुट जमीन देने की सरकार की योजना का खुलासा किया था जिसके बाद विवाद उठ खड़ा हुआ।

सुरेश पाटिल ने दावा किया कि 4500 वर्ग फुट में होने वाले निर्माण के लिए ब्रिटिश जमाने के दो बंगलों को तोड़ा जाएगा। हालांकि राष्ट्रपति भवन ने लगातार यह कहा कि कुछ भी गलत नहीं हो रहा या किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हो रहा। राष्ट्रपति के सेवानिवृत्ति के बाद रहने के लिए बनने वाले आवास के लिए सारे नियमों का कड़ाई से पालन किया गया।

आज के वक्तव्य में राष्ट्रपति भवन ने कहा कि राष्ट्रपति सेवानिवृत्ति के बाद अपने रहने के लिए पुणे वाले आवास को लेकर कुछ भ्रमक प्रचारों को देख, पढ रही हैं। वक्तव्य में कहा गया कि उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं देने का विकल्प चुना क्योंकि वह हमेशा से देश के संविधान और अपनी अंतर्रात्मा के प्रति जवाबदेह रही हैं। राष्ट्रपति भवन के वक्तव्य में कहा गया कि ऐसी उम्मीद की गई कि तथ्यों के सार्वजनिक किए जाने के बाद संबंधित लोग इससे संतुष्ट हो जाएंगे लेकिन राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा स्पष्टीकरण दिए जाने के बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संदेह कायम रहा।

राष्ट्रपति भवन से जारी वक्तव्य में कहा गया कि राष्ट्रपति को सबसे ज्यादा पीड़ा इस बात से हुई कि सेवानिवृत्ति के बाद रक्षा आवास को उनके द्वारा स्वीकार किए जाने को कुछ लोग ने ऐसे दिखाया कि वह युद्ध विधवाओं और पूर्व सैन्यकर्मियों को लेकर संवेदनहीन हैं। वक्तव्य में कहा गया कि तथ्य इससे उलट हैं। वह हमेशा से बहादुर जवानों को लेकर गर्व महसूस करती रही हैं जो हमारी सीमा के रक्षा के लिए बलि देते हैं।

वक्तव्य के मुताबिक, युद्ध विधवाओं के प्रति उनके मन में अपार श्रद्धा है जिन्होंने देश की सुरक्षा और एकता के लिए अपने प्रियजनों को गवांया। वक्तव्य में कहा गया कि सुरक्षा बलों के साथ एकजुटता दिखाने, उनका हौंसला बढाने और उनके तकलीफों का आंखों देखा हाल जानने के लिए पाटिल ने सुदूर सैन्य प्रतिष्ठानों जैसे तंगधर, भदरवा, लेह और पूर्वोत्तर के कई दूर दराज वाले इलाकों का दौरा किया।

इसमें कहा गया कि युद्ध विधवाओं और पूर्व जवानों के लिए सुविधाएं निर्मित करने के रास्ते में आने या उसमें रोड़ा अटकाने के बारे में वह सोच भी नहीं सकती। वक्तव्य में कहा गया कि महिलाओं के मुद्दे हमेशा से उनके लिए चिंता के विषय रहे हैं और खासतौर से युद्ध विधवाओं के मुद्दों के लिए उनके दिल में विशेष जगह रही है।

इसके मुताबिक, उन्होंने उनकी भलाई के लिए अथक काम किया है और लोगों को यह जानकारी देना चाहेंगी कि राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर उन्होंने 1192 युद्ध विधवाओं की समस्याओं के समाधान में मदद के लिए व्यक्तिगत तौर पर पत्र लिखा। उनके निर्देश पर राजस्थान के सैनिक कल्याण बोर्ड के निदेशक के साथ एक राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया ताकि युद्ध विधवाओं के मुद्दे का प्राथमिक तौर पर निपटारा हो सके।

English summary
President Pratibha Patil has decided to forgo the proposed accommodation in Pune for her after retirement. President's office said she was pained by media reports.
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