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सिरफिरे सीरियल किलर ने दिया दिल्‍ली पुलिस को चैलेंज

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सिरफिरे सीरियल किलर ने दिया दिल्‍ली पुलिस को चैलेंज
अंकुर कुमार श्रीवास्‍तव
दिल्‍ली में एक ऐसा सीरियल किलर है जो कत्‍ल करने के बाद उसका सिर कलम कर देता है। फिर लाशों को एशिया की सबसे बड़ी तिहाड़ जेल के बाहर फेंक देता है। इतना ही नहीं, वारदात को अंजाम देने के बाद वह पुलिस को चैलेंज देता है कि उसे पकड़ कर दिखाये। पुलिस ने उसे एक बार पकड़ भी लिया मगर अब वह कह रहा है कि दम है तो यह साबित कर के दिखाओ कि वो कत्‍ल उसने ही किया है। जी हां एक सिरफिरे सीरियल किलर का चैलेंज अभी भी दिल्‍ली पुलिस के लिये चुनौती बना हुआ है।

आगे की बात करने से पहले आपको बताते चलें कि कुछ सालों पहले दिल्‍ली पुलिस को तिहाड़ जेल और आस-पास के इलाकों में एक के बाद एक सात सिर कटी लाश बरामद हुई थी। इस वारदात ने दिल्‍ली पुलिस की नींद उड़ा रखी थी। मगर इसी बीच पुलिस सन्‍न उस वक्‍त रह गई जब उसे एक लाश के पास से चिट्ठी बरामद हुई थी। उस चिट्ठी में पुलिस को खुली चुनौती दी गई थी। कातिल ने लिखा था कि "मेरे प्रियजनों और दिल्‍ली पुलिस के जांबाज डीएचपी (दिल्‍ली होमगार्ड से लेकर आईपीएस अधिकारी तक) तुम सभी को तुम्‍हारे दामाद की तरफ से खुल्‍लम खुल्‍ला चैलेंज है। तुम लोगों ने वाकई में अपनी मां का दूध पिया है तो मुझे पकड़ कर दिखाओ। वर्ना तुम सारे लोग नाजायज औलाद कहलाओगे"।

इस चिट्ठी के बाद पुलिस ने एक व्‍यक्ति को गिरफ्तार किया और सीरियल किलर की पहचान चंद्रकात झा के नाम से किया। मगर सबूतों के आभाव में जमानत पर उसे रिहा कर दिया गया। चौकाने वाली बात यह है कि जब-जब वह रिहा हुआ तिहाड़ जेल के सामने सिर कटी लाश बरामद की गई। सारे कत्‍ल चंद्रकांत झा ने ही किया था और फिर सिर काटने के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिये देश के सबसे सुरक्षित जेल को चुना था।

कब-कब बरामद हुई सिर कटी लाश

18 मई 2007 तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के सामने

25 अप्रैल 2007 तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के सामने

20 अक्‍टूबर 2006 तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के सामने

2 नवंबर 2005 दिल्‍ली के मंगोलपुर इलाके में

30 नवंबर 2005 तिहाड़ जेल के गेट के सामने

27 जून 2001 तिहाड़ जेल के गेट के सामने

वर्ष 1998 दिल्‍ली के आदर्शनगर इलाके में

पुलिस की लापरवाही से बचता रहा है सीरियल किलर

देश की सबसे स्‍मार्ट पुलिस कहे जाने वाली दिल्‍ली पुलिस ने इस पूरे मामले को या तो हल्‍के में लिया या फिर कातिल के दिमाग के सामने घुटने टेक‍ दिया। एक कत्‍ल के मामले में पुलिस ने खुद ही कोर्ट में बोला कि उसके पास इस हत्‍या के संबंध में सबूत नहीं है। बस क्‍या वह रिहा हो गया। इधर वह रिहा हुआ और दिल्‍ली में फिर सनसनी फैल गई। पुलिस की लापरवाही तो उस समय साफ उजागर हो गई जब उसने चंद्रकांत झा का 164 नहीं करवाया।

164 के तहत मुलजिम को अदालत में जज के सामने बयान दिलवाया जाता है। उसके बाद उसके मुकरने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती। इतना ही नहीं चंद्रकांत ने दिल्‍ली पुलिस को जो चुनौती भरा खत भेजा था उसे भी सील नहीं किया गया और ऐसे ही लैब भेज दिया गया। दिल्‍ली पुलिस की ये सारी हरकत साइनटफिक एविडेंस पर खरे नहीं उतरे और चंद्रकांत को रिहा कर दिया गया।

खैर इस हत्‍याकांड के संबंध में कोर्ट में मामला चल रहा है। यह अलग बात है कि कोर्ट में ऊंट किस करवट बैठेगा और फैसला क्‍या आयेगा मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्‍या इन सिर कटी लाशों को इंसाफ मिल पायेगा। हां इंसानियत के नाते से हम यह जरूर चाहते हैं कि ये सात खून कभी माफ ना किये जायें।

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English summary
Serial Killer Chandrakant Jha, who is accused of killing people and dumping their bodies in front of Tihar jail, has challanged to Delhi Police for prove this.
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