कांग्रेस सैम पित्रोदा को बना सकती है राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कांग्रेस राष्ट्रपति पद के लिए दो उम्मीदवारों पर अपना दांव लगा सकती है। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी कांग्रेस ने नहीं की है पर कयास लगाया जा रहा है कि वह प्रधानमंत्री के तकनीकी सलाहकार सैम पित्रोदा पर अपना दांव लगा सकती है। हालांकि उसे उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी कम नहीं भा रहे हैं क्योंकि एक तो वह अल्पसंख्यक समुदाय से हैं दूसरे वर्तमान में वह उपराष्ट्रपति भी हैं।
पर सैम पित्रोदा का यहां पलड़ा भारी दिख रहा है क्योंकि कांग्रेस के कई बैठकों में वह वतौर सदस्य शिरकत कर चुके हैं। इसलिए माना जा रहा है कि सैम को कांग्रेस राष्ट्रपति को अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है।
उधर, सपा भी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अभी से दूसरे दलों को टटोलना शुरू कर दिया है। खास तौर पर उन दलों से जिन्हें कांग्रेस से परहेज है। कोशिश राष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसा प्रत्याशी सामने लाने की है, जिसका विरोध करना दूसरे दलों के लिए मुश्किल हो। सूत्रों के मुताबिक सपा राष्ट्रपति चुनाव में अपनी भूमिका व प्रत्याशी को लेकर पूरी तरह गंभीर है। उस लिहाज से काम भी शुरू कर दिया गया है।
बीते दिनों कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से सपा के राज्यसभा सदस्य किरनमय नंदा की मुलाकात वैसे तो शिष्टाचारवश थी, लेकिन बातचीत राष्ट्रपति चुनाव के मसले पर भी हुई। पार्टी की पूरी कोशिश दूसरे दलों के प्रमुख नेताओं से किसी एक प्रत्याशी के नाम पर सहमति बनाने की है। उसकी अनौपचारिक कोशिशें शुरू हो गई हैं।
आगामी 24 अप्रैल से संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा शुरू हो रहा है। उस दौरान सभी दलों के प्रमुख नेता दिल्ली में होंगे। यह मुहिम तब और रफ्तार पकड़ेगी। सूत्रों की माने तो पार्टी यह मानकर चल रही है कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को एक बार फिर से राष्ट्रपति बनाने पर जरूरी नहीं है कि सभी दलों में सहमति बन ही जाए। या फिर कलाम खुद ही तैयार न हों। लिहाजा पार्टी की नजर में एक और प्रत्याशी है, वह भी मुस्लिम समुदाय से है। महत्वपूर्ण पद पर है, लेकिन राष्ट्रपति पद के चुनाव की घोषणा के पहले पार्टी उसके नाम का खुलासा नहीं करना चाहती।
अलबत्ता, पार्टी को उम्मीद है कि उसकी तरफ से सुझाए प्रत्याशी के नाम पर शायद ही किसी दल की असहमति हो, लेकिन जब तक दूसरे दलों से पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं हो जाता, पार्टी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहेगी। विधानसभा चुनाव में भारी जीत में मुस्लिम मतदाताओं की अहम भूमिका को पार्टी ने काफी गंभीरता से लिया है। वह राष्ट्रपति चुनाव में भी अग्रणी भूमिका निभाकर अपनी जमीन को और मजबूत करना चाहती है।