भारत-चीन के रिश्तों में क्यों लगाई जा रही 'अग्नि'
उड़ीसा के बालासोर के पास द्वीप पर अग्नि-5 के सफल प्रक्षेपण के तुरंत बाद पूरी दुनिया मानों हिल गई। यूरोपीय देशों तक अपनी मारक क्षमता रखने वाली अग्नि 5 मिसाइल से भारत समेत पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान में खलबली मच गई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि बार-बार चीन का नाम ही क्यों लिया जा रहा है। आखिर दोनों देशों के रिश्तों में 'अग्नि' क्यों लगायी जा रही है।
अग्नि 2 के प्रक्षेपण से खबलबली असल में दो कारणों से मची हुई है, पहला यह कि भारत अब उन पांच देशों के समूह की ओर बढ़ गया है जिनके पास इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइलें हैं। दूसरा यह कि परमाणु हथियारों और मिसाइलों के मामले में पाकिस्तान के मुकाबले भारत कहीं आगे निकल चुका है।
पहले बात करेंगे पाकिस्तान की। सुबह 8:08 बजे जैसे ही अग्नि-5 परीक्षण के रूप में दागी गई, तो पहला झटका इसलामाबाद में महसूस किया गया। पाकिस्तानी वेबसाइटों और पाक मीडिया में खबरें दौड़ने लगीं। टीवी चैनल चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे कि भारत उनके मुल्क के लिए लगातर बड़ा खतरा बनता जा रहा है। जबकि सच पूछिए तो अग्नि-5 का पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं है।
वेबसाइटों ने भारत की परमाणु क्षमता का बखान किया। कई साइटों ने अग्नि की लॉन्चिंग के वीडियो भी चलाये। हलांकि किसी भी नेता ने अभी तक न तो बधाई दी है और न ही कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यानी फिलहाल यह कहा जा सकता है कि अग्नि 5 के परीक्षण से पाक सन्न रह गया है और कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है।
चीनी मीडिया में कौतूहल
वहीं चीन में लोगों के बीच तो कौतूहल पहले ही मचा हुआ था कि वहां के मीडिया ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देने में जरा भी देर नहीं की। चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अग्नि 5 का परीक्षण करके भारत ने कोई तोप नहीं चला दी है, चीन अभी भी भारत से कहीं आगे हैं। अखबार के पहले पन्ने पर लिखा गया कि 5000 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल का परीक्षण करने का यह मतलब नहीं कि भारत ने इंटर-कॉन्टिनेंटल मिसाइल समूह में शामिल होने के लिए दस्तक दे दी है। उसके लिए 8000 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी, जो इतनी आसान नहीं है।
लेख में लिखा गया है कि भारत इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में अभी भी बहुत पीछे है। भारतीय लोग इसकी चीन से तुलना कर रहे हैं। यह उनकी भूल है। पश्चिमी देश भारत के कुल बजट के 17 फीसदी को सेना पर खर्च किये जाने पर मौन हैं, जबकि भारत हथियार खरीदने में नंबर वन है। ऐसे में चीन की ताकत को नजरअंदाज़ करना भारतीयों की भूल होगी। आगे पढ़ने के लिए कृपया NEXT बटन पर क्लिक करें।