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भारतीय वायुसेना का बुरा हाल, 181 बीटीए की जरुरत, हकीकत में एक भी नहीं

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Indian Air Force
दिल्ली (ब्यूरो)। जनरल वीके सिंह के पत्र से पिछले दिनों सनसनी फैल गई थी। उन्होंने लिखा था कि भारतीय फौज के पास लड़ने के लिए जो बारुद है वह सात दिन भी नहीं चल सकते । अब खबर आ रही है कि भारतीय वायुसेना के पास कर्मचारियों की बेहद कमी है। वायु सेना को 181 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट (बीटीए) की जरुरत है। हकीकत है वायुसेना के पास एक भी बीटीए नहीं है।

अब पता चला है कि भारतीय वायुसेना (आईएएफ) भी आवश्यक संसाधनों की ‘कमी’ से जूझ रही है। उसके पास ट्रेनर एयरक्राफ्ट, उससे संबंधित उपकरण, लड़ाकू स्क्वाड्रन का पर्याप्त अभाव है। साथ ही कई एयरफील्ड ऐसे हैं, जहां विमान उतारने की सुविधाएं नहीं हैं। यह तथ्य रक्षा मामलों से जुड़ी संसदीय समिति के सामने पेश किए गए हैं।

आईएएफ और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा हाल में समिति के सामने प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि वायुसेना के पास तय 42 की जगह मात्र 34 फाइटर स्क्वाड्रन (टुकड़ी) हैं। अगले कुछ सालों में इसमें और कमी आ सकती है। वायुसेना के कई विमान जल्दी ही रिटायर होने वाले हैं। जबकि इनकी जगह लेने वाले विमानों की संख्या बहुत कम है। कई मिग-21 और मिग-27 आने वाले समय में हटा दिए जाएंगे। इनकी जगह सुखोई-30 एमकेआई समेत मध्यम और छोटे आकार के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान लेने वाले हैं।

ट्रेनर विमानों के संदर्भ में बताया गया है कि सेना की जरूरत 181 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट (बीटीए), 85 इंटरमीडिएट जेट ट्रेनर (आईजेटी) और 106 एडवांस जेट ट्रेनर (एजेटी) की है। जबकि बीटीए उसके पास हैं नहीं। उनकी जगह इस्तेमाल किए जाने वाले एचपीटी-32 से जुलाई 31, 2009 को हुई एक भीषण दुर्घटना के बाद काम में लाना बंद कर दिया गया है।

समिति को बताया गया कि फिलहाल ट्रेनिंग के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स द्वारा तैयार किरण एयरक्रॉफ्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। वायुसेना में 434 एचपीटी-32 किरण और हॉक शामिल किए गए थे, जिसमें से केवल 255 उपलब्ध हो सके। हॉक के अलावा अन्य विमानों की उम्र बहुत कम होती है। एचपीटी-32 की आयु 28 साल होती है और सेना के किरण 39 साल पुराने हो चुके हैं।

स्थिति यह है कि ट्रेनर विमानों की भारी कमी है।सेना के विमान बीते वर्षों में दुर्घटनाग्रस्त भी खूब हुए हैं। 2007-08 में 11, 2008-09 में 13, 2009-10 में 14, 2010-11 में 14 और 2011-12 में 12 दुर्घटनाएं दर्ज हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 38 फीसदी दुर्घटनाएं तकनीकी कारणों से हुई। यह बात भी सामने आई है कि वायुसेना के लिए उपयोगी 52 एयरफील्ड में से 10 में रणनीतिक रूप से आवश्यक एयरफील्ड लाइटनिंग सिस्टम (एएफएलएस) ही नहीं लगे हैं। समिति से वायुसेना के लिए बनने वाली 12वीं योजना में इन कमियों को दूर करने को कहा गया है।

Comments
English summary
The Indian Air Force’s (IAF) present plan envisages training 220 pilots a year. But on any given day, the IAF has only about 15-17 basic trainer aircraft to train pilots, jeopardizing its training programme.Even these have to be divided between the Air Force Academy in Dundigal and the training base in Hakimpet, Secunderabad, where the training is conducted.
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