बैंकांक जाकर अक्षय कुमार बनना चाहते थे, अब जेल में
गिरफ्तार युवकों में एक बीटेक छात्र, एक आर्किटेक्ट व एक रेस्तरां कर्मी है। रेस्तरां कर्मी ही इस अपहरणकांड का मास्टर माइंड था, जिसने बैंकाक जाने में होने वाले खर्च का जुगाड़ करने के लिए अपहरण की साजिश रची थी। एसपी सिटी योगेश सिंह यादव ने बताया कि छलेरा गांव से पंडिताई करने वाले श्रवण कुमार मिश्रा की चार साल की बेटी सृष्टि का अपहरण कर, एक लाख रुपये फिरौती की मांग की गई थी।
थाना-39 पुलिस, एसओजी व सर्विलांस टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से तीन अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार कर, सृष्टि को सकुशल बरामद कर लिया। पकड़े गए युवक श्रवण कुमार मिश्रा के पड़ोसी निकले। इनकी पहचान गांव कैथला गुलावटी बुलंदशहर निवासी ललित कुमार वाल्मीकि, मोहल्ला कायस्थान थाना हसनपुर जेपीनगर निवासी रक्षित रस्तोगी और कोट वेस्ट थाना हसनपुर जेपी नगर निवासी मोहम्मद सारिक के रूप में हुई।
ललित और मो.सारिक छलेरा में उमाशंकर के मकान में दूसरी मंजिल पर रहते हैं, जबकि पहली मंजिल पर श्रवण कुमार का परिवार रहता है। पुलिस के मुताबिक पकड़ा ललित सेक्टर-18 के एक रेस्तरां में काम करता है, जो इस पूरे अपहरणकांड का मास्टर माइंड है। बैंकाक जाने की ललक में रुपये का जुगाड़ करने के लिए उसने साजिश रची और आर्किटेक्ट का हाल में ही कोर्स पूरा करने वाले रूम पार्टनर मो.सारिक को इस मामले में शामिल किया। मो.सारिक ने गाजियाबाद के आरकेजीएनआईटी कालेज से बीटेक कर रहे अपने मित्र रक्षित रस्तोगी को भी साजिश में शामिल किया और वारदात को अंजाम दे दिया।
शाम छह बजे अगवा सृष्टि की मां आरती मिश्रा के पास फोन आया कि वे जिसको खोज रही हैं वह हमारे पास है। तुम्हारे दो और बच्चे हैं वे कहां पढ़ते हैं हमें पता है। हम उन्हें भी उठा लेंगे। अगर ऐसा नही चाहते हो तो रात आठ बजे तक एक लाख रुपये का इंतजाम करो। बाकी बातें बाद में बताई जाएंगी। इस फोन से घर में कोहराम मच गया। मामला थाना-39 जा पहुंचा। पुलिस ने फिरौती की मांग करने वाले नंबर को सविलांस के जरिए जांचा तो पता चला कि वह किसी गुलफाम नाम के व्यक्ति की आईडी पर शनिवार को ही छलेरा की एक दुकान से लिया गया है।
पुलिस उस दुकान तक पहुंची और उसे अपहरणकर्ताओं का सुराग मिल गया। पुलिस ने फौरन श्रवण कुमार के साथ ही मकान में रहने वाले मो सारिक को हिरासत में ले लिया तो वह टूट गया। उसने बताया कि बच्ची को बाइक से अगवा कर बॉटेनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन पर वह ललित के साथ गया था। जहां रक्षित मिला। रक्षित व ललित बच्ची को लेकर आनंद विहार मेट्रो स्टेशन ले गए। वहीं फिरौती की रकम वसूलनी थी।
वह उन्हें मेट्रो स्टेशन पर छोड़ कर वापस घर आ गया और गतिविधियों पर नजर रखने लगा। पुलिस का दबाव बढ़ता देख वह घबरा गया और उसने फोन कर ललित को इसकी जानकारी दी। ललित ने आनंद विहार मेट्रो स्टेशन छोड़ दिया और बच्ची को आटो में बैठा कर रक्षित के साथ गाजियाबाद रेलवे स्टेशन आ गया। जहां पुलिस ने लोकेशन के आधार पर उन्हें धर दबोचा। स्टेशन पर बच्ची रोती मिली।
फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार भी पहले रेस्तरां में काम करता था। फिर वह बैंकाक गया और वहां शेफ बना और आज वह बुलंदियों पर है। इसी महत्वाकांक्षा के साथ ललित ने अपहरण की घटना को अंजाम दिया। अपनी साजिश में होनहार छात्र रक्षित रस्तोगी व आर्किटेक्ट मो. सारिक का कैरियर भी बर्बाद कर दिया। एक लाख की फिरौती मिलने पर वह उन्हें केवल दस-दस हजार रुपये देता और अस्सी हजार रुपये खुद रखता।
उन रुपये के सहारे बैंकाक जाता। बेटे के पकड़े जाने की जानकारी पाकर जेपीनगर से रक्षित के मां-बाप थाना-39 पहुंचे और बेटे का कैरियर न बर्बाद हो इसके लिए उसे माफ करने की दुहाई देने लगे। उन्होंने यूपी के ही एक सांसद से भी पुलिस को फोन कराया कि वह रक्षित को छोड़ दें। लेकिन नादानी में रक्षित ने ऐसा अपराध कर डाला कि पुलिस भी चाह कर उसकी मदद नहीं कर सकी। बेटे को जेल जाता देख मां-बाप थाने में ही रोने लगे। पुलिस कर्मियों ने उन्हें चुप कराया। रक्षित के पिता अरुण रस्तोगी के मुताबिक बेटा पढ़ाई में तेज था। उसे इंजीनियर बनाने के लिए वह दिन रात एक कर रहे थे लेकिन मो. सारिक ने उसे बरगला कर कैरियर बर्बाद कर दिया।
पुलिस के मुताबिक ललित ने एक सप्ताह पहले ही अपहरण की योजना बनाई। योजना में शामिल मो. सारिक व रक्षित ने पंडित श्रवण कुमार की माली हैसियत के बारे में उन्हें कुछ शक हुआ और उन्होंने ललित से पूछा था कि श्रवण कुमार पूजा पाठ करता है उसके पास रुपये कहां है। इस पर ललित ने बताया कि श्रवण कुमार सलारपुर में मकान बनवा रहा है। उसके पास बहुत पैसा है। श्रवण कुमार जानबूझ कर ऐसा बनता रहता है। वह ललित की बातों में आ गए और अपहरण की वारदात को अंजाम दे बैठे।