15 दिन पहले दिल्ली में मॉनसून
प्रशांत महासागर में 0.5 से 1 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में हुई बढ़ोतरी मध्य भारत में आने वाले मॉनसून पर एक बड़ा फर्क डालने वाली है। समुद्री तापमान में बढ़ोत्तरी से यहां अल-निनो का प्रभाव बन गया है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, अल-निनो के असर से मार्च के अंत से लगातार थंडर एक्टिविटी (आंधी-बारिश) नहीं आई है। थंडर एक्टिविटी कम होने के कारण गर्मी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। अगर कुछ दिनों तक थंडर शावर (बारिश) नहीं आए तो मई के अंत में पड़ने वाली गर्मी के दर्शन लोगों को अप्रैल के अंत में ही हो जाएंगे।
मौसम विभाग के अनुसार, इससे जुलाई के प्रथम सप्ताह में दिल्ली आने वाला मॉनसून दो सप्ताह पहले ही क्षेत्र में दस्तक दे सकता है। हालांकि यह कमजोर स्थिति में हो सकता है। राष्ट्रीय मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र के विशेषज्ञ बीपी यादव ने बताया कि प्रशांत महासागर में पिछले तीन महीनों से बन रहा ला-निना का प्रभाव समाप्त हो गया है। इससे सामान्य मॉनसून की स्थितियां बिगड़ी हैं। यहां तापमान बढ़ने से अल-निनो का प्रभाव बना है।
इसके असर से उत्तर, पूर्व और मध्य भारत में समय से पंद्रह दिन पूर्व मानसून आने की संभावना है। वहीं, इसके प्रभाव से दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक ताकतवर मॉनसून आ सकता है। राष्ट्रीय मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. केके सिंह ने बताया कि तापमान में इजाफा होने से इस समय सरसों, मूंग, उरद और सब्जियों की फसलों पर प्रभाव पड़ेगा। वहीं, पोट्री की उत्पादकता पर भी काफी असर पड़ने का अनुमान है।