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जानिए कितने प्रकार के होते हैं मतदाता?

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प्रदीप शुक्‍ल 'स्‍वतंत्र'

मतदान लोकतंत्र का सबसे बड़ा अधिकार और हथियार है। लोग 62 साल से इस लोकतंत्र के हथियार का प्रयोग करते आ रहे हैं, लेकिन इस हथियार की ताकत कुछ ही मतदाता पहचान पाए हैं। शायद यही कारण है कि विधानसभाओं से लेकर लोकसभा तक की सत्‍ता तक सुशासन दूर-दूर तक नजर नहीं आता। आप सोच रहे होंगे कि मैं तो वोट देता हूं, तो यह लेख क्‍यों पढ़ूं। तो रुकिये यह लेख उन लोगों के लिए है, जो वोट डालते हैं और उन लोगों के लिए भी जो वोट नहीं डालते। यहां हम बतायेंगे कि आखिर आपका वोट गलत लोगों को सत्‍ता तक कैसे पहुंचा देता है।

देश में अधिकांश लोग ऐसे हैं जो केवल मतदान देने जाते हैं। उन्‍हें वोट डालने से मतलब होता है, किसे डालना है, क्‍यों डालना है, यह वो नहीं सोचते। यह इसलिए भी क्‍योंकि उन्‍हें सिर्फ इतना मालूम है कि मतदान जरूरी है, लेकिन ये नहीं पता कि इस अधिकार का प्रयोग कैसे करें। इस आधार पर देखें तो कुल छह प्रकार के मतदाता होते हैं।

वोटर नंबर-1, जो सोचते हैं कि वोट बेकार नहीं हो

चुनाव नजदीक आते ही, चुनावी हवा तेज हो जाती है, जो प्रत्‍याशियों को जिताने में खासा योगदान देती है। चारों तरफ एक ही दल की हवा होती है। ऐसे में एक प्रकार के मतदाता वो होते हैं जो सोचते हैं कि मेरा वोट बेकार नहीं जाना चाहिये। वो उसी को वोट देते हैं, जिनकी हवा माहौल में होती है। ऐसे मतदाओं के अंदर एक मानसिकता हमेशा रहती है कि अगर हमने अन्‍य पार्टी को वोट दे दिया तो मेरा वोट बेकार हो जायेगा। ऐसे में चाहे प्रत्‍याशी जितना ही निकम्‍मा क्‍यों न हो वो वोट उसी को देते हैं।

वोटर नंबर- 2, क्षेत्र को देख कर वोट देते हैं

तमाम मतदाता अपने क्षेत्र की पार्टी को देखकर ही वोट देते हैं, उनका ध्‍यान राज्‍य के सुशासन की तरफ नहीं जाता। वे अपने प्रत्‍याशी को जीताने की सोच के साथ मतदान करते है। ये लोग प्रत्‍याशी को जाने चाहे नहीं जानें, वो सिर्फ अपने क्षेत्र को जानते हैं। ये लोग उसी पार्टी के निशान पर बटन दबाते हैं, जिसमें प्रत्‍याशी उनके इलाके का होता है। उनका इससे मतलब नहीं कि वहां का प्रत्‍शाशी ईमानदार है या कोई क्रिमिनल और या भ्रष्‍टाचारी। शायद उनकी समझ से लोकतंत्र की ताकत परे है।

वोटर नंबर- 3, जाति/धर्म को देखकर वोट देते हैं

ये वो लोग होते हैं, जो अपनी जाति या धर्म के प्रत्‍याशी के नाम पर आंख मूंद कर बटन दबा देते हैं। कुर्मी है तो कुर्मी को वोट देगा, यादव है तो यादव को, लोध हैं तो लोध को, मुस्लिम है तो मुस्लिम को.... खास बात यह है कि सभी पार्टियां लोगों की इस नब्‍ज को अच्‍छी तरह पहचानते हैं और जिस क्षेत्र में जिस जाति का बोलबाला होता है, वे प्रत्‍याशी भी उसी जाति का उतारते हैं। सबसे बड़ा उदाहरण भाजपा की उमा भारती हैं, जिन्‍हें सोच समझ कर लोध के क्षेत्र से उतारा गया है।

वोटर नंबर- 4, मीडिया की लहर में बहते हैं

चुनाव नजदीक देख मीडिया की आवाज और कलम दोनो रफ्तार पकड़ लेती है। कुछ मीडिया संस्‍थान भी चुनावी रंग में रंगे नजर आते है। चुनावी हवा किसी भी पार्टी की ओर चल रही हो लेकिन उनकी हवां एकतरफा नजर आती है। बहुत सारे वोटर अपनी चौरतफा सोच को ताक पर रखकर इन एकतरफा हवाओं के बहाव में बह जाते है। इनकी आखों पर मीडिया की पट्टी पड़ जाती है। इन वोटरों की सोच प्रत्‍याशी, क्षेत्र और राज्‍य से परे हो जाती है।

वोटर नंबर- 5, घर वालों के कहने पर देते हैं वोट

ये वो वोटर हैं, जिनसे उनके मां, बाप, दादा, दादी, चाचा, ताऊ, आदि जिस पार्टी को वोट देने को कहते हैं वे उसी पार्टी को वोट देते हैं, प्रत्‍याशी कोई भी हो, या पार्टी ने कभी कोई अच्‍छा काम किया हो या नहीं, वे यह सब कुछ नहीं सोचते। ऐसे तमाम परिवार हमारे देश में हैं, जो पुश्‍तों से भाजपा को वोट देते चले आ रहे हैं, या ऐसे परिवार हैं, जिनके घर में दशकों से कांग्रेस का पंजा दिखाई देता है। इसी के उदाहरण हैं रायबरेली और अमेठी, जहां कांग्रेस के अलावा किसी का सांसद नहीं आया। वहीं गोरखपुर में भाजपा का गढ़ रहा है। ऐसा नहीं है कि इन पार्टियों ने इन शहरों का सर्वांगीण विकास किया है, बल्कि इसलिए क्‍योंकि यहां सैंकड़ों परिवारों की सोच पार्टी से जुड़ चुकी है।

वोटर नंबर - 6, जो सिर्फ विकास को देखते हैं

दुर्भाग्‍यवश इस प्रकार के वोटरों की संख्‍या देश में बहुत कम है। ये वो मतदाता हैं, जो मुहर लगाते वक्‍त या ईवीएम का बटन दबाते वक्‍त अपने मन में अपने शहर के विकास के बारे में सोचते हैं, ये वो लोग हैं जो बटन दबाते वक्‍त सोचते हैं कि सड़कें बनी या नहीं, महंगाई बढ़ी या घटी, भ्रष्‍टाचार कितना हुआ, आदि। बटन दबाते वक्‍त अगर उन्‍हें जरा भी लगता है कि "क" पार्टी ने अच्‍छा काम किया है, तो वो "क" पर ही बटन दबायेगा, फिर चाहे मीडिया कुछ भी चिल्‍लाये, मां-बाप कुछ भी कहें, दोस्‍त यार कुछ भी बोलें, वो करते हैं तो सिर्फ अपने मन की।

वोटर नंबर - 7, जो कभी वोट नहीं देते

इस श्रेणी में हम उन लोगों को नहीं रख रहे हैं, जो अपने शहर से दूर रहते हैं और उन्‍हें भी नहीं शामिल कर रहे हैं, जो स्‍वासथ्‍य कारणों से वोट नहीं दे पाते हैं। इस श्रेणी में वो लोग आते हैं जो पूरी तरह स्‍वस्‍थ्‍य होने के बावजूद अपने घर से एक किलोमीटर के दायरे में स्थित मतदान केंद्र तक नहीं जाते। असल में वे सिर्फ अपने साथ ही नहीं बल्कि देश के साथ भी गद्दारी करते हैं। ऐसे लोगों को देश के मंत्रियों, अधिकारियों या देश की व्‍यवस्‍था पर टिप्‍पणी करने का कोई अधिकार नहीं।

अब आप बताइये इनमें से आप किस श्रेणी के मतदाता हैं?

Comments
English summary
This article is talking about the types of voters in India. Actually there are seven type of voters who decides the future of politicians in Assembly as well as in Parliament. Read and think in which category you are?
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