दिल्ली में पिछले साल 4 प्रतिशत क्राइम बढ़ा
दिल्ली में वर्ष 2011 में स्नेचिंग और वाहन चोरी जैसे मामलों में तो गिरावट आई, लेकिन राजधानी में बलात्कार, उत्पीडन, हत्या का प्रयास और अपहरण जैसे जघन्य अपराध में बढोत्तरी दर्ज हुई। राजधानी में वर्ष 2011 में 53 हजार 353 मामले दर्ज हुए जबकि 2010 में यह आंकड़ा 51 हजार 292 था।
शहर के पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता ने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में यहां अपराध की कुल संख्या में बढोत्तरी को कम करने का प्रयास करते हुए कहा कि प्रति लाख जनसंख्या के हिसाब से अपराध सामान्य है। वर्ष 2010 में अपराध दर 313.06 प्रति लाख थी, जो बढकर 318.47 प्रति लाख हो र्गइ है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2010 के 565 के मुकाबले बीते साल हत्या के 543 मामले सामने आए लेकिन हत्या के प्रयास के मामले 311 से बढकर 386 पहुंच गये। खास बात यह है कि हत्या के मामलों में चार प्रतिशत गिरावट तो आई लेकिन हत्या के प्रयास के मामलों में 24 प्रतिशत की बढोत्तरी दिल्ली में कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।
हत्या करने के कारणों में सड़क के कुत्तों को लेकर वाद विवाद, दही खरीदने, बच्चों के रोने, ढोल बजाने, क्रिकेट खेलने और शराब पीने जैसी छोटी छोटी बातें भी शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने महिलाओं के लिए राजधानी सुरक्षित बनाने के लिए र्कइ पहल की हैं लेकिन वर्ष 2011 में बलात्कार और उत्पीडन के मामलों में इजाफा हुआ और 98 प्रतिशत मामलों में अपराधी पीडि़ता के रिश्तेदार या उसके जानने वाले ही हैं।
वर्ष 2011 में बलात्कार के 568 मामले दर्ज हुए जबकि 2010 में इनकी संख्या 507 थी। गुप्ता ने कहा कि 568 मामलों में से 550 से अधिक मामलों में अपराधी पीडि़ता के जानने वाले ही पाये गये।
गुप्ता ने कहा कि यातायात नियमों के उल्लंघन पर लगने वाला जुर्माना बहुत कम है और मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करके इसे बढाया जाना चाहिए। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर लगने वाले जुर्माने में इजाफे का समर्थन किया।
वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार और लापरवाही बरतने पर 10 हजार 800 से अधिक पुलिसकर्मियों को बर्खास्तगी से लेकर स्पष्टीकरण तक की सजा झेलनी पड़ी। खास बात यह है कि 2011 का यह आंकड़ा पिछले साल से दस गुना ज्यादा है। दिल्ली पुलिस वार्षिक रिपोर्ट 2011 के अनुसार, पिछले साल 162 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया गया।