'मराठियों पर अंगुली ना उठाये कर्नाटक वरना जला कर राख कर देंगे'
उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार को मराठियों पर हमला करने वाले गुंडो को मिल रहे पुलिस संरक्षण को बंद करना चाहिये। हम संयम बरत रहे हैं। लेकिन इसके यह मायने नहीं हैं कि यह संयम दुर्बलता के कारण है। ठाकरे ने कहा कि केवल एक चिंगारी की जरूरत है। शिवसेना प्रमुख ने हाल में मांग की थी कि ज्ञानपीठ समिति को कंबार से प्रतिष्ठित पुरस्कार वापस लेना चाहिये। उन्होंने कहा था कि कंबार ने कहा है कि सीमाई इलाकों (कर्नाटक) में मराठी भाषी आबादी केवल अराजकता के लिये पैदा हुए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इन इलाकों के मराठी लोग मराठी माध्यम में शिक्षा चाहते हैं तो उन्हें महाराष्ट्र जाना चाहिये। ठाकरे ने कंबार को याद दिलाया कि कि कर्नाटक के लाखों लोग मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में उद्योग एवं अन्य व्यवसायों में काम कर रहे हैं। शिवसेना प्रमुख ने कहा कि महाराष्ट्र में आठ करोड़ लोगों की तरफ से हम मांग करते हैं कि ज्ञानपीठ समिति को उनसे पुरस्कार वापस लेना चाहिये। उन्होंने कहा कि वास्तव में उडुपी यहां होटल व्यवसाय को नियंत्रित करता है। क्या होगा अगर हम उन सभी से उनके राज्य लौटने को कहें। ठाकरे ने कहा कि कंबार को याद रखना चाहिये कि भाषा किसी की दुश्मन नहीं है ।
भीमसेन जोशी और गंगूबाई हंगल जैसी हस्तियों ने मराठी दिमागों पर राज किया है। ठाकरे की प्रतिक्रिया कुछ मराठी समर्थक पार्षदों द्वारा कन्नड विरोधी कार्यों से नाराज कर्नाटक सरकार के बेलगाम शहर निगम को दिये गये कारण बताओ नोटिस पर आया है जिसमें दो हफ्ते के भीतर उनसे जवाब मांगा गया है कि क्यों नहीं उसे भंग करने के लिये कार्यवाही शुरू की जाय। कर्नाटक सरकार ने शिवसेना प्रमुख की कंबार को लेकर बयानों को उकसाने वाला बताते हुए कहा है कि इससे दो पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव बढ़ सकता है।