देश के अंतिम साइबेरियन टाइगर की मौत
नवंबर 2001 में गैस्ट्रोइनटाइसिस बीमारी के चलते मेहश की मौत हो गई। इन दो साइबेरियन टाइगरों के अलावा उस वक्त दार्जिलिंग जू में भी दो साइबेरियन टाइगर मौजूद थे। नैनीताल में महेश की मौत के कुछ महीनों बाद इनमें से एक टाइगर की भी मृत्यु हो गई, जबकि पिछले साल दार्जिलिंग जू के अंतिम टाइगर की भी मौत हो गई है।
इस लिहाज से नैनीताल प्राणी उद्यान में कुणाल ही देश का एक मात्र साइबेरियन टाइगर था। प्राणी उद्यान के निदेशक तथा डीएफओ डा.पराग मधुकर धकाते ने बताया कि कुणाल की यादगार के लिए वन महकमे ने स्नो लैपर्ड की भांति टैक्सीडरमी बनाने का फैसला किया है। धकाते ने बताया कि कुणाल की आयु 17.6 वर्ष थीं। वह कई दिनों से भोजन नही कर रहा था।
उसे सूप पिलाया जा रहा था। उन्होंने बताया कि कुणाल इन दिनों अपनी मांद में बैठा रहता था। डा. धकाते के अनुसार कुणाल की टैक्सीडरमी बनाने के लिए मुख्य वन जीव प्रतिपालक को प्रस्ताव भेजा गया है। पोस्टमार्टम के बाद उसके शरीर के हिस्सों को सुरक्षित रखा जाएगा, ताकि उसकी टैक्सीडरमी तैयार हो सके। कुणाल की मौत से चिड़ियाघर कर्मी बेहद दु:खी है।
बकौल
डीएफओ
चिड़ियाघर
की
शान
कुणाल
टैक्सीडरमी
के
रूप
में
सदैव
याद
रखा
जाएगा।
सामान्यतया
वनों
में
साइबेरियन
टाइगर
की
उम्र
10
से
12
वर्ष
ही
होती
है।
यह
बाघ
रुस
के
प्रीमोरी
प्रांत
में
पाया
जाता
है।
इस
इलाके
में
इन
बाघों
की
संख्या
घट
कर
250
ही
रह
गई
है।
इन
बाघों
की
सबसे
बड़ी
विशेषता
यह
होती
है
कि
ये
शायद
ही
कभी
मनुष्य
पर
हमला
करते
हो।
ये
मनुष्य
का
मांस
खाना
पसंद
नहीं
करते
है,
शायद
यही
वजह
है
कि
सारी
दुनिया
में
ये
बाघ
सबसे
ज्यादा
लोक
प्रिय
हैं।