प्रणब की नई चिट्ठी से मच सकता है भूचाल
आपको बता दें कि वित्त मंत्रालय द्वारा भेजे गए उस 2जी नोट पर चिदंबरम औऱ प्रणब आमने सामने आ गए थे औऱ इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था। उसके बाद दोनों ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करके इस मुद्दे को सुलझाया था। पर अब एक बार फिर यह मुद्दा प्रणब मुखर्जी के नये पत्र के सामने आ जाने के बाद गरमा गया है।
सूत्रों ने बताया कि मुखर्जी ने 26 सितंबर को लिखे पत्र में यह बात औपचारिक तौर पर दर्ज कराई है कि जिस नोट के सार्वजनिक होने से सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री आमने-सामने नजर आने लगे वह नोट पीएमओ के जोर देने की वजह से ही भेजा गया था। दूसरे शब्दों में, मुखर्जी ने उस पूरे विवाद की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर मढ़ने की कोशिश की। यह पत्र न्यूयॉर्क में हुई मुखर्जी-मनमोहन बातचीत के दूसरे दिन भेजा गया था।
पत्र में मुखर्जी ने पूरा ब्योरा दिया है कि कैसे मीडिया में यह बात आ जाने के बाद कि पी चिदंबरम की राय में उन्होंने स्पेक्ट्रम की नीलामी की वकालत की थी, कैबिनेट सेक्रेटरी की पहल पर जनवरी 2011 के आरंभ में यह कवायद शुरू हुई जिसका मकसद था इस पूरे मामले में सरकार की भूमिका पूरी तरह साफ हो। इसके बाद कैबिनेट सेक्रेटरी, पीएमओ और डीईओ के अफसरों की कई बैठकें हुईं जिनके आधार पर डीईए ने 17 मार्च 2011 को एक नोट तैयार किया जिसमें मात्र 12 पैराग्राफ थे। इसके बाद कैबिनेट सेक्रेटेरियट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डीईओ के नोट में काफी बदलाव किए गए। इस संशोधित नोट में 32 पैराग्राफ थे। इसके पैराग्राफ 18 को लेकर विवाद हुआ जिसे बकौल मुखर्जी पीएमओ और कैबिनेट सेक्रेटेरियट के आपसी विचार-विमर्श के बाद और संशोधित किया गया था। आखिरी संशोधन के बाद मार्च 2011 को भेजे गए नोट में यह विवादित वाक्य पैराग्राफ 17 में पड़ा था। मुखर्जी ने पत्र के आखिर में कहा है कि यह नोट तैयार हो जाने के बाद भी डीईओ इसे पीएमओ क औपचारिक तौर पर भेजने के पक्ष में नहीं था। मगर, जॉइंट सेक्रेटरी के जोर देने पर यह नोट भेजा गया।