फिर बढ़ सकते हैं पैट्रोल के दाम
गौरतलब है कि आज बड़े शहरों में गाड़ी स्टेटस नहीं बल्कि एक जरूरत बन चुकी है। दोपहिया और चार पहिया वाहन रखने वाले अपने घरों में गाड़ी इसलिए रखते हैं ताकि वो वक्त रहते अपने नौकरी के स्थान पर पहुंच जायें। लेकिन यूं ही अगर पैट्रोल के दाम बढ़ते रहे तो आम आदमी वाहनों का इस्तेमाल ही करना बंद कर देगा।
गौरतलब है कि पिछले दिनों जब पैट्रोल के दाम बढ़े तो वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें तय करने में सरकार का योगदान नहीं है। तेल की कीमतों का निर्धारण तेल कंपनियां करती हैं। मालूम हो कि पिछले 4 महीनों में पेट्रोल की कीमतें 8 रुपए तक बढ़ चुकी हैं। प्रणव दा ने कहा था कि कि सरकार 2010 में पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त कर चुकी है। जिसके बाद से पेट्रोल के दाम तेल कंपनियां ही निर्धारित करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई थीं जिस वजह से तेल कंपनियों को घाटा हो रहा था। तेल कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ बैठक करने के बाद तेल के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया था।
सरकार तो अपना पक्ष रखकर आगे बढ़ जाती है, भुगतना तो आम आदमी को पड़ता है जो बेलगाम महंगाई की मार सहता ही जा रहा है। खाद्य पदार्थों की बढ़ी कीमतों ने जहां उसकी दो वक्त की रोटी को मुश्किल कर दिया है वहीं घड़ी-घड़ी बढ़ते पैट्रोल के दामों ने उसका जीना मुहाल कर दिया है।