पत्रकारों की सिफारिशों को नहीं रोकना सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और दीपक मिश्र की पीठ ने कहा कि शिष्टाचार की मांग यह है कि जब मामला केन्द्रीय मंत्रिमंडल के पास है तो हमें कोई आदेश पारित नहीं करना चाहिए। लेकिन केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया कोई भी फैसला इस अदालत की ओर से दिए जाने वाले अंतिम आदेश से बाध्य होगा। पीठ ने यह टिप्पणी विभिन्न समाचारपत्रो प्रबंधनों की बार बार की याचिकाओं के बाद की।
इन याचिकाओं में केन्द्रीय मंत्रिमंडल को इस आधार पर वेज बोर्ड की सिफारिशों पर कोई भी फैसला लेने से रोकने का निर्देश दिए जाने की अपील की गयी थी कि मामला शीर्ष अदालत के विचाराधीन है। पीठ ने इस मामले में समाचारपत्र प्रबंधनों द्वारा केन्द्रीय श्रम सचिव को लिखे विवादास्पद पत्र का भी गंभीर संज्ञान लिया। पत्र में सचिव से कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा कोई फैसला किए जाने तक वह सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं लें। अतिरिक्त महा न्यायवादी पराग त्रिपाठी ने पत्र की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया था।