सरकार पर राजा को हटाने का दबाव बढ़ा (राउंडअप)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य विपक्ष दलों के सांसदों का कहना है कि वह सदन की कार्यवाही तब तक नहीं चलने देंगे जब तक दूरसंचार मंत्री ए. राजा का इस्तीफा नहीं लिया जाता।
इस मामले में हंगामे की शुरुआत एक दिन पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा इस मामले पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपे जाने के बाद हुई। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट में संकेत किया गया है कि संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए.राजा द्वारा 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम को बाजार से कम कीमत पर बेचे जाने के कारण सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
सरकार पर दबाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हुए ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की नेता जे.जयललिता ने गुरुवार को कहा कि यदि दागी केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा को बर्खास्त किए जाने के बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) केंद्र सरकर से समर्थन वापस लेती है तो उस सूरत में वह कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का समर्थन करने को तैयार हैं।
जयललिता ने यह प्रस्ताव समाचार चैनल 'टाइम्स नाउ' के साथ एक साक्षात्कार में दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को समर्थन देने के पीछे उनकी कोई शर्त नहीं है।
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा कि लोकसभा में एआईएडीएमके के नौ सांसद हैं और समान विचारधारा वाली पार्टियों की मदद से 18 सांसदों का पूर्ण समर्थन दिया जा सकता है, ताकि डीएमके के 18 सांसदों की क्षतिपूर्ति हो जाए।
जयललिता ने कहा कि वह इस अनुमान के आधार पर यह एकतरफा प्रस्ताव दे रही हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भारी मांग के बावजूद राजा को स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर इसलिए नहीं बर्खास्त कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनकी सरकार का लोकसभा में बहुमत समाप्त हो जाएगा और समय से पहले चुनाव की नौबत आ जाएगी।
जयललिता ने कहा, "इसका कारण बहुत ही साधारण है। यह गठबंधन की राजनीति है। यदि स्पष्ट रूप से दो टूक शब्दों में कहा जाए तो, जाहिर तौर पर कांग्रेस महसूस करती है कि राजा के खिलाफ कोई भी कड़ी कार्रवाई करने के बाद डीएमके केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेगी और कमजोर गठबंधन टूट जाएगा, परिणामस्वरूप मध्यावधि चुनाव की स्थिति बन जाएगी।"
गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य आसन के निकट जाकर केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाने लगे। विपक्ष ने भ्रष्टाचार के अन्य मामलों पर भी जमकर हंगामा किया। इस कारण लोकसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे और फिर सोमवार तक स्थगित कर दी गई।
सरकार ने हालांकि विपक्ष की उस मांग को दृढ़ता से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने विवादास्पद स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की है।
संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि जेपीसी जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सीएजी की रिपोर्ट जल्द ही संसद में पेश कर दी जाएगी।
बंसल ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, "यह रिपोर्ट संसद की सम्पत्ति होगी और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) इसका अध्ययन करेगी और आवश्यक होने पर किसी कार्रवाई की सिफारिश करेगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।