काचरू रैगिग मामला : 4 छात्रों को सश्रम कारावास (लीड-4)
धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश ), 11 नवंबर (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश की एक अदालत ने गुरुवार को अमन काचरू की रैगिंग और मौत के मामले में चार मेडिकल छात्रों को चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने चारों छात्रों को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया है।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुरिंदर वैद्य ने दोषी करार दिए गए कांगड़ा जिले के टांडा स्थित राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के चारों वरिष्ठ छात्रों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
अदालत ने रैगिंग करने वाले अजय वर्मा, नवीन वर्मा, अभिनव वर्मा और मुकुल शर्मा को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 खंड-दो (गैरइरादतन हत्या), 452 (पिटाई की तैयारी के बाद अतिक्रम, हमला या गलत तरीके से काबू में करना), 34 (दोहरा इरादा) और 342 (एकांतवास के लिए विवश करना) के तहत दोषी करार दिया।
छात्र अमन (19) ने स्कूली पढ़ाई नई दिल्ली के डीपीएस इंटरनेशनल स्कूल में की थी। उसने वर्ष 2007 में मेडिकल कालेज में प्रवेश लिया था। पिछले वर्ष आठ मार्च को चार वरिष्ठ छात्रों द्वारा रैगिंग के बाद उसकी मौत हो गई थी।
फैसले के बाद अमन के पिता राजेंद्र काचरू ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक फैसला है लेकिन मेरे लिए यह मामला तभी खत्म होगा जब देशभर में रैगिंग के मामले बंद हो जाएंगे। वे हत्या के दोषी ठहराए जाएं या गैर इरादतन हत्या के, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। सजा कम किए जाने से मुझे थोड़ी निराशा जरूर हुई है।"
उन्होंने कहा, "अभियोजन पक्ष को फैसला लेना है कि वे सजा बढ़वाने के लिए ऊंची अदालत में जाएंगे या नहीं।"
अभियोजन पक्ष ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत सजा देने की मांग की थी।
अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि वरिष्ठ छात्रों ने रैगिग के नाम पर अमन की बेरहमी से पिटाई की और हो सकता है कि उनका इरादा हत्या का भी रहा हो।
विशेष सरकारी वकील जीवन लाल शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि निचली अदालत द्वारा छात्रों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ अभियोजन पक्ष उच्च न्यायालय का रुख करेगा।
गुड़गांव में रहने वाले राजेंद्र काचरू ने एक दिन पहले यह कहते हुए मीडिया को ई-मेल भेजा था, "न्याय का मकसद रोकथाम होनी चाहिए, सजा नहीं। सजा को 'भावनात्मक मुआवजे' से ज्यादा रोकथाम में प्रभावी होना चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।