सम्पत्ति गुणवत्ता पर ध्यान दें बैंक : मुखर्जी
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के 92वें स्थापना दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम में मुखर्जी ने कहा, "बैंकिंग क्षेत्र को जोखिम संतुलन प्रावधानों में समझदारी रखने और सम्पत्तियों की गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए अर्थव्यवस्था की विकास दर बनाए रखने की जरूरत है।"
उन्होंने कहा कि हालांकि वैश्विक वित्तीय और आर्थिक संकट के कठिन समय में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं।
उन्होंने कहा, "भारत नौ प्रतिशत की वार्षिक विकास दर और अगले वर्षो में इससे ज्यादा विकास दर हासिल करने के महत्वपूर्ण मोड़ पर है ऐसे में बैंकिग क्षेत्र को आर्थिक विकास की गति बनाए रखने की जरूरत है।"
मुखर्जी ने कहा, "यद्यपि भारतीय बैंकों ने वैश्विक आर्थिक संकट का तुलनात्मक रूप से बेहतर सामना किया है लेकिन कुछ चुनौतियां अभी बाकी हैं।"
वर्ष 2009-10 में भारतीय बैंकों के मुनाफे में कमी आई है। बैंकों की सम्पत्ति गुणवत्ता खराब हुई है और औसत पहुंच में कमी आई है जिससे गैर निष्पादन सम्पत्तियों को कम करने की क्षमता कम हुई है।
मुखर्जी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ग्रामीण इलाकों में पहुंच बढ़ाने की जरूरत है। "कृषि क्षेत्रों और कमजोर वर्गो के इलाकों में बैंक शाखाएं और एटीएम की पहुंच बढ़ाने के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षो में प्रगति हुई है लेकिन अभी भी यह काफी कम है।"
रिजर्व बैंक के मुताबिक देश के कुल छह लाख गांवों में से केवल 30,000 में वाणिज्यिक बैंकों की शाखाएं हैं। प्रत्येक सौ वर्ग किलोमीटर के दायरे में औसतन तीन बैंकों की शाखाएं हैं और ग्रामीण इलाकों और पूर्वोत्तर में यह औसत और भी कम है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।