अमेरिकी सिख सैनिक ने धार्मिक आस्थाओं के साथ पूरा किया प्रशिक्षण
वाशिंगटन, 11 नवंबर (आईएएनएस)। अपनी पंजाबी और हिंदी भाषा की कुशलता के कारण सिमरन प्रीत सिंह लाम्बा पिछले दो दशक में अमेरिकी सेना के पहले ऐसे सिख सैनिक बन गए हैं, जिन्होंने अपनी धार्मिक आस्थाओं को त्यागे बगैर प्राथमिक प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।
अपनी भाषाई कुशलता के लिए वर्ष 2009 में मिलिट्री एसेसन्स विटल टू द नेशनल इंटरेस्ट (एमएवीएनआई) कार्यक्रम के तहत भर्ती हुए लाम्बा ने अपनी पगड़ी और सम्पूर्ण बालों सहित कोलम्बिया के बाहरी हिस्से में स्थित फोर्ट जैक्शन में प्राथमिक प्रशिक्षण बुधवार को पूरा कर लिया।
अमेरिकी नागरिक बन चुके लाम्बा ने कहा, "मैं अपने साथी सैनिकों से और अमेरिका की सेवा करने को लेकर रोमांचित हूं।"
लाम्बा ने कहा, "मैं विनम्रतापूर्वक इस बात को कहता हूं कि मैं प्रशिक्षण के सभी पहलुओं में उत्कृष्टता साबित करने में सक्षम था। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं अपने साथी सैनिकों और नेतृत्व के सहयोग और भाईचारगी से अभिभूत था। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं और सेवा शुरू करने के इंतजार में हूं।"
मौजूदा अमेरिकी सैन्य नीति में पगड़ी और दाढ़ी-मूछ रखने वाले सिख सैनिकों के लिए जगह नहीं है। अमेरिकी सेना में सिख केवल उसी सूरत में पगड़ी और बाल जैसी अपनी धार्मिक आस्थाओं को अपना सकते हैं, जब इसके लिए उन्हें विशेष रूप से अनुमति हासिल हो चुकी हो।
प्रारम्भ में लाम्बा से कहा गया था कि उनकी धार्मिक सिख आस्थाएं सम्भवत: स्वीकार्य होंगी।
लेकिन मार्च 2010 में धार्मिक आस्थाओं के अपनाए जाने सम्बंधी उनके औपचारिक आवेदन को खारिज कर दिया गया। उसके बाद लाम्बा ने इस निर्णय के खिलाफ अपील की और सितम्बर 2010 में उनकी अपील स्वीकार कर ली गई।
कुछ लोगों की चिंताओं के विपरीत लाम्बा ने बुनियादी प्रशिक्षण के दौरान एक सैनिक के लिए जरूरी सभी अहर्ताओं को पूरा किया।
उन्होंने फील्ड अभ्यास के दौरान एक छोटी पगड़ी पर हेल्मेट धारण किया। गैस मास्क अभ्यास के दौरान उन्होंने सफलतापूर्वक एक सील तैयार किया। लाम्बा ने अपने साथी सैनिकों और अपने वरिष्ठों के साथ गहरे आत्मीय सम्बंधों का आनंद भी उठाया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।