केवल विक्षिप्त व्यक्ति ही सुदर्शन की तरह बात कर सकता है : कांग्रेस
संसदीय मामलों के मंत्री पी.के.बंसल ने तो यहां तक कह दिया, "केवल विक्षिप्त व्यक्ति ही इस तरह की बात कर सकता है।"
दोनों पक्षों के बीच यह वाकयुद्ध, आरएसएस पर आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाए जाने के बाद शुरू हुआ है।
संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के पास आकर विरोध प्रदर्शन किया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मांग की कि वह माफी मांगे। भाजपा वैचारिक रूप से आरएसएस से सम्बद्ध है।
कांग्रेस और विपक्षी सांसदों द्वारा भारी विरोध प्रदर्शन के कारण लोकसभा में हंगामे की स्थिति पैदा हो गई। परिणामस्वरूप लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी, क्योंकि शुक्रवार को छठ पूजा की छुट्टी है।
कांग्रेस सदस्यों ने आरोप लगाया कि आरएसएस के पूर्व प्रमुख सुदर्शन ने सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं।
राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होने के साथ ही सत्यव्रत चतुर्वेदी और माबेल रिबेलो के नेतृत्व में कांग्रेस सदस्य, सभापति हामिद अंसारी के आसन की ओर बढ़े और उन्होंने एक अखबार की प्रतियां लहराई, जिसमें आरएसएस के पूर्व प्रमुख द्वारा भोपाल के एक कार्यक्रम में गांधी के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों से सम्बंधित खबर प्रकाशित हुई थी।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वाकयुद्ध शुरू हो जाने से हंगामे-सी स्थिति पैदा हो गई। शोरशराबे के बीच सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
सुदर्शन की टिप्पणियां मीडिया में प्रकाशित नहीं हुई थीं, क्योंकि वे भड़काऊ थीं। लेकिन एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक ने गुरुवार को उसे प्रकाशित कर दिया था, जिसे लेकर कांग्रेस में हो-हल्ला मच गया।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व संसदीय मामलों के मंत्री पी.के.बंसल ने कहा, "केवल विक्षिप्त व्यक्ति ही सुदर्शन जैसी बात कर सकता है।"
बंसल ने संवाददाताओं को बताया, "उन्होंने उन शब्दों का इस्तेमाल किया है, जिसका इस्तेमाल कोई विक्षिप्त व्यक्ति भी नहीं करेगा। भाजपा सांसदों को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।"
बंसल ने हालांकि सत्ताधारी सांसदों के अध्यक्ष के आसन की ओर बढ़ने पर खेद प्रकट किया और कहा, "हमें अध्यक्ष के आसन के पास नहीं जाना चाहिए। लेकिन भाजपा सांसद, अध्यक्ष (मीरा कुमार) के सदन में आने से पहले ही आसन के करीब पहुंच गए थे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।