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सांसदों का भत्ता 10,000 और बढ़ा, इससे आगे बढ़ोतरी से इंकार (राउंडअप)

By Staff
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सोमवार को सांसद वेतन वृद्धि संबंधी विधेयक पर पुनर्विचार हुआ। इस विधेयक के प्रारूप को पिछले सप्ताह मंजूरी दी गई थी।

इस विधेयक में सांसदों का वेतन तिगुना बढ़ाने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव का उन सदस्यों ने जमकर विरोध किया जो वेतन में पांच गुना वृद्धि की मांग कर रहे थे।

सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि मंत्रिमंडल ने कर के दायरे में न आने वाले सांसदों के भत्तों, मसलन निर्वाचन क्षेत्र एवं कार्यालय भत्तों, में वृद्धि मंजूर की है। लेकिन सांसदों के वेतन को 16,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने के फैसले में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है।

सांसदों को प्रतिमाह 20,000 रुपये संसदीय क्षेत्र भत्ता और 20,000 रुपये कार्यालय भत्ता मिलता है। इन भत्तों को शुक्रवार को दोगुना किया गया था और अब सरकार ने इनमें पांच-पांच हजार रुपये की अतिरिक्त वृद्धि करने का फैसला किया है।

सरकार के संकटमोचक प्रणब मुखर्जी के वेतन वृद्धि के फैसले का विरोध कर रहे सांसदों से मिलने के दो दिन बाद यह फैसला किया गया है।

इस फैसले पर संसद की सहमति अभी ली जानी बाकी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार मुखर्जी पहले ही सभी को भरोसे में ले चुके हैं।

राजनीतिक पार्टियों ने सरकार के इस कदम पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि इस मुद्दे पर यह एक ट्रेड यूनियन जैसा दृष्टिकोण रहा है।

भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा कि परिलब्धियों में बढ़ोतरी आवश्यक थी, लेकिन सरकार को बढ़ोतरी के लिए कोई सूचकांक आधारित या कोई अन्य प्रक्रिया तलाशनी चाहिए थी। सांसदों को अपना वेतन बढ़ाने के लिए खुद से सिफारिश नहीं करनी चाहिए।

सीतारमन ने आईएएनएस से कहा, "अर्थव्यवस्था की चाहे जो भी स्थिति हो, भाजपा संवेदनहीन नहीं बनना चाहती। सांसद सहज नहीं महसूस कर रहे हैं। वे असहज हैं, क्योंकि उन्हें अपने खुद के वेतन में बढ़ोतरी को मंजूरी देनी है।"

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रवक्त डी.पी.त्रिपाठी ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, "सांसदों को बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है। इस बढ़ोतरी की आलोचना ठीक नहीं है।"

माकपा नेता बासुदेब आचार्य ने कहा कि पार्टी इस बढ़ोतरी के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "यह ठीक नहीं है कि सांसद अपना वेतन बढ़ाने के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करा दें।" आचार्य ने कहा कि जनता वैसे ही कीमतों में वृद्धि से परेशान है।

बहरहाल, संसद सदस्यों के वेतन और भत्ता कानून, 1954 में संशोधन के लिए विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को संसद में पेश किए जाने की संभावना है।

सांसदों की वेतन वृद्धि को वर्तमान लोकसभा की शुरुआत से लागू किया जाएगा। इस तरह सांसदों की वेतन वृद्धि मई 2009 से लागू होगी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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