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भारत ने म्यांमार के साथ आतंक निरोधी समझौता किया (लीड-1)

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नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारत ने ऊर्जा संपन्न म्यांमार के साथ आतंक निरोधी सहयोग बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसके साथ ही भारत ने म्यांमार में विकास और परिवहन परियोजनाओं के लिए लाखों डॉलर के आसान ऋण का प्रस्ताव दिया।

मानवाधिकार के रिकॉर्ड को लेकर म्यांमार के सैन्य शासन की पश्चिमी देशों द्वारा की जाने वाली निंदा और अपने सुरक्षा और ऊर्जा हितों के बीच संतुलन स्थापित करते हुए भारत ने सैन्य शासन को लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ने का सुझाव भी दे डाला।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और म्यांमार के सैन्य शासक सीनियर जनरल थान श्वे के बीच व्यापक बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत ने म्यांमार में अपनाई जा रही राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया और लोकतांत्रिक बदलावों के व्यापक महत्व को रेखांकित किया। लेकिन संयुक्त बयान में म्यांमार की अग्रणी नेता आंग सान सू ची के बारे में कुछ भी दर्ज नहीं था। सू ची लगातार हिरासत में हैं और उन्होंने इस वर्ष होने वाले चुनाव का बहिष्कार किया है।

दोनों देशों के बीच बातचीत में सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एजेंडे में शीर्ष पर थे। इसके अलावा ऊर्जा सहयोग में मजबूती और विकास संबंधी परियोजनाओं में सहयोग सहित व्यापक मुद्दों पर बातचीत हुई।

दोनों देशों के बीच जिन पांच समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, उनमें वह संधि भी शामिल है, जिसके तहत दोनों देश आपराधिक मामलों में आपसी कानूनी सहयोग करेंगे। यह समझौता पूर्वोत्तर के आतंकियों तक पहुंचने में भारत को सक्षम बनाएगा, क्योंकि पूर्वोत्तर के आतंकी भारत-म्यांमार के बीच 1,650 किलोमीटर लंबी सीमा पर शरण लेते हैं।

इस समझौते का मकसद सीमा के आरपार संगठित अपराध, आतंकवाद, नशीले पदार्थो की तस्करी, आर्थिक धोखाधड़ी और हथियारों व विस्फोटकों की तस्करी रोकने में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगा।

दोनों नेताओं ने इस बात को दोहराया कि वे अपनी भूमि का इस्तेमाल एक दूसरे-देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे।

बातचीत के दौरान सीमा के आरपार संपर्क बढ़ाने और अधोसंरचना विकास में सहयोग बढ़ाने का मुद्दा भी प्रमुखता के साथ उठा। इसके साथ ही भारत ने म्यांमार को लाखों डॉलर कीमत का आसान ऋण का भी प्रस्ताव दिया।

दोनों पक्षों ने छोटी विकास परियोजनाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सूचना सहयोग के क्षेत्रों में भी समझौतों पर हस्ताक्षर किया।

मध्य म्यांमार के बागान स्थित आनंद मंदिर के जीर्णोद्धार में भारतीय सहयोग के लिए भी एक आपसी समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। यह म्यांमार का प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर और प्रमुख पर्यटक स्थल है।

दोनों पक्षों ने अपने ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने का भी निर्णय लिया। दोनों देशों के बीच फिलहाल एक अरब डॉलर का व्यापार है। म्यांमार ने देश से लगे समुद्र में ब्लॉक ए-1 और ए-3 की ऊपरी और निचली परियोजनाओं में विकास के लिए तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (गेल) द्वारा अतिरिक्त निवेश किए जाने का स्वागत किया।

थान श्वे पांच दिवसीय दौरे पर रविवार को भारत आए थे। उन्होंने बिहार के बोध गया स्थित महाबोधि मंदिर में पूजा अर्चना की। भारत सरकार ने थान श्वे का शानदार स्वागत किया।

थान श्वे का मंगलवार सुबह राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। उन्होंने उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से मुलाकात की। उसके बाद वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वार्ता के लिए गए।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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