दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा था कि भारतीय हॉकी महासंघ (आईएचएफ) ही मान्यता प्राप्त संस्था है जबकि एचआई एक निजी संस्था है। फैसले में अदालत ने सरकार से पर्यावेक्षक वापस बुलाने और एचआई चुनावों में दखलअंदाजी नहीं करने को कहा था।अदालत के इस फैसले के बावजूद खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय ने कहा कि आईएचएफ और एचआई दोनों देश में हॉकी की मान्यता प्राप्त संस्थाएं हैं। सरकार के इस फैसले पर अदालत काफी नाराज है।इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश एस. मुरलीधर ने बुधवार को कहा कि सरकार ने अदालत के आदेश की अवमानना की है। ऐसी स्थिति में सरकार को बुधवार शाम तक संघों की मान्यता को लेकर अपनी स्थिति साफ करनी होगी।अदालत ने खेल विभाग के संयुक्त सचिव इंजेती श्रीनिवास को शाम तीन बजे से पहले अपने जवाब के साथ हाजिरी देने को कहा है। अदालत का कहना है कि श्रीनिवास सरकार की ओर से एचआई को दी गई मान्यता के बारे में स्थिति स्पष्ट करें।अदालत ने यह भी कहा कि अगर संशय की स्थिति बनी रहती है तो बुधवार को होने वाले एचआई के चुनाव टाले जा सकते हैं।इस बीच, चुनाव के लिए एचआई के सभी अधिकारी नई दिल्ली में इकट्ठा हुए। होटल ललित में एचआई की कार्यकारिणी की वार्षिक आम बैठक निर्धारित समय से एक घंटे की देरी से सुबह 10 बजे शुरू हुई लेकिन इस सबसे मीडिया को दूर रखा गया।आम बैठक के बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू होनी थी। होटल में मौजूद मीडियाकर्मियों को बाहर कर दिया गया और जो बाहर थे, उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया गया। पूरी स्थिति से यही लग रहा था कि एचआई चुनाव के संबंध में गोपनीयता बरतना चाहता है।होटल के बाहर बड़ी संख्या में बच्चे हाथों में प्लेकार्ड लिए अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे पूर्व कप्तान परगट सिंह के समर्थन में खड़े दिखे। वोट फॉर परगट और सेव हॉकी जैसे नारों के साथ बच्चों ने शांति के साथ अपनी बात हॉकी जगत और मीडिया के सामने रखने का प्रयास किया।इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।