रंगमंच पर अब भी है महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह : अमल अल्लाना
उन्होंने यहां चल रहे दक्षिण एशियाई महिला थियेटर महोत्सव के तहत अपने बहु-भाषी नाटक 'नटी बिनोदिनी' का मंचन किया था।
अल्लाना ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे नहीं लगता कि बुनियादी मानसिकता में बदलाव आएगा। यदि मैं किसी वेश्या के पास जाऊं और उसे नटी बिनोदिनी में अभिनय करने के लिए लेकर आऊं तो लोग इसे आज भी स्वीकार नहीं करेंगे।"
उन्होंने कहा, "आखिरकार हम मध्यम वर्ग से संबंध रखते हैं और इस तरह के विचारों को स्वीकार्यता नहीं दे पाते हैं। इसलिए 19वीं शताब्दी के बांग्ला समाज में बिनोदिनी को स्वीकार करना बहुत मुश्किल था। आज 147 साल भी स्थिति वही है।"
बिनोदिनी का जन्म कोलकाता के रेड लाइट क्षेत्र में 1863 में हुआ था। उन्हें गंगाबाई के पास संगीत शिक्षा लेने के लिए भेजा गया था। बारह वर्ष की उम्र में वह ग्रेट नेशनल थियेटर से जुड़ गई हैं। उन्होंने 80 नाटकों में 90 भूमिकाएं की थीं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।