महिला आरक्षण विधेयक पर आम सहमति बनाने को तैयार सरकार (लीड-1)
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक पर सभी मतभेदों को सुलझाने और इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के मुलायम सिंह यादव, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लालू प्रसाद और जनता दल (युनाइटेड) के शरद यादव इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। विधेयक का समर्थन करने वाले प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी में भी इस विधेयक को लेकर मतभेद के स्वर मुखर हुए हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार वहां भी बड़ी संख्या में सांसद इस विधेयक के पक्ष में नहीं हैं पर कोई भी खुलकर विरोध व्यक्त नहीं कर रहा है क्योंकि आलाकमान इस विधेयक को पारित करवाने के बारे में अपना रूख स्पष्ट कर चुकी है।
इस बीच संसद के भीतर और बाहर पिछले दो दिनों में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाचक्र के बीच सरकार तैयार हो गई है कि विधयेक को लोकसभा में लाने से पहले वह इस पर आम सहमति बनाएगी।
विधेयक पर मुलायम, लालू और शरद की आपत्तियों का जवाब देते हुए मुखर्जी ने लोकसभा में कहा कि सभी मतभेदों को सुलझाने और आम सहमति बनाने के बाद ही सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पेश करेगी। "इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने में सरकार को कोई एतराज नहीं है।"
उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले भी महिला आरक्षण के मुद्दे पर आम सहमति कायम करने की कोशिश की लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। "किसी भी विधेयक पर निर्णय संसद के सदस्यों द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के तहत ही लिया जाना चाहिए।"
इससे पहले मुलायम ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि वह महिला आरक्षण विधेयक के विरोधी नहीं हैं लेकिन इसमें मुस्लिम और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि विधेयक में उनकी मांग के अनुसार संशोधन किया जाएगा तो वह उसका समर्थन करेंगे, नहीं तो उनकी पार्टी इसका विरोध करती रहेगी। मूलायम ने कहा इस विधेयक पर सहमति बनाए जाने की आवश्यकता है।
सपा अध्यक्ष ने राज्यसभा में मार्शलों द्वारा बलपूर्वक सांसदों को बाहर निकालकर विधेयक पर मतदान कराए जाने की आलोचना करते हुए कहा, "मार्शलों से सदन नहीं चलेगा।"
लालू ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को उनकी पार्टी मौजूदा स्वरूप में किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने इस विधेयक में मुस्लिम, दलित और पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किए जाने की मांग की।
लालू ने कहा कि महिला अरक्षण विधेयक के माध्यम से देश का राजनीतिक परिदृश्य बदलने की बात कही जा रही है लेकिन इसे आम सहमति से किया जाना चाहिए। इसमें मुस्लिमों और पिछड़े वर्गो की महिलाओं की भी हिस्सेदारी होनी चाहिए।
शरद ने महिला आरक्षण विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध करते हुए कहा कि वह महिला आरक्षण के विरोधी नहीं हैं लेकिन इसमें मुस्लिम, पिछड़े और दलित वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए।
उन्होंने कहा, "इस विधेयक में देश के 80 प्रतिशत लोगों को भी स्थान देना चाहिए, जिनकी आवाज नहीं सुनी जाती। लोकसभा के 70 फीसदी सदस्य इस विधेयक के विरोध में हैं। उन्हें स्वतंत्रता दे दी जाए तो ये 70 प्रतिशत सदस्य इसके विरोध में मतदान करेंगे। ऐसा नहीं हुआ तो मैं सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दूंगा।"
यादव तिकड़ी को अपना पक्ष रखने का मौका मिलने और उसके बाद इस आम सहमति बनाने के मुखर्जी के आश्वासन के बावजूद आज भी प्रश्नकाल बाधित हुआ और सदन की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे और फिर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
उधर, राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर मंगलवार को चर्चा के दौरान बलपूवर्क सदन से बाहर किए गए सात सदस्यों के निलंबन को समाप्त करने की विपक्ष की निरंतर मांग के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित हुई।
विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा, "अपने सहयोगियों के निलंबन के कारण कुछ सदस्य सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। हम सरकार से उनके निलंबन को वापस लेने के लिए एक प्रस्ताव लाने का आग्रह करते हैं।"
इस पर, केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि सदन में सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करने के लिए निलंबित सदस्यों को खेद जताना चाहिए। कांग्रेस की सदस्य जयंती नटराजन ने भी कहा कि उनको माफी मांगनी चाहिए।
विपक्ष के इस मुद्दे पर शोरगुल करने के कारण सभापति हामिद अंसारी ने राज्यसभा की कार्यवाही पहले 11.15 बजे तक और इसके दोबारा शुरू होने के बाद 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।
उल्लेखनीय है महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने के दौरान अनुशासनहीन व्यवहार करने वाले सात सदस्यों कमाल अख्तर, नंदकिशोर यादव, वीरपाल सिंह यादव, आमिर अली खान, एजाज अली, सुभाष प्रसाद यादव और साबिर अली को मंगलवार को बजट सत्र के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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