बिछड़ गया हंसों का जोड़ा
ग्लॉस्टरशायर वन्यजीव अभयारण्य में इस दुर्भल विच्छेद के साक्षी बने विशेषज्ञों ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है. उनका कहना है कि इस अभयारण्य में 40 साल में यह दूसरी बार है जब किसी हंस के जोड़े ने अपना साथी बदला है. अभयारण्य के कर्मचारियों ने नया जोड़ा बनाने की इस प्रक्रिया को 'अनोखा' बताया है.
उनका कहना था, "पक्षियों के लिए साथी बदलना कोई नई बात नहीं है, पर सामान्य तौर पर वो जीवन भर के लिए मिलते हैं और जब कभी साथी बदलते हैं तो उसकी वजह पार्टनर की मौत होती है."
वफ़ादारी पर बट्टा
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले चार दशक से इस अभयारण्य में चार हज़ार जोड़ों पर अध्यन किया गया है, लेकिन केवल एक जोड़े ने अपना साथी बदला है.
कर्माचरियों के अनुसार सरींदी नामक नर हंस जब आर्टिक रूस से वार्षिक माइग्रेशन के बाद अभयारण्य लौटा तो अपने दो साल की मादा पार्टनर सरौनी को छोड़ चुका था और नया साथी बना चुका था. जब सरींदी और उसके नए साथी के बीच दोस्ती बढ़ने लगी तो सरौनी को डर सताने लगा और फिर क्या था उसने भी नया साथी तलाश कर लिया.
इस पूरे अध्ययन के बाद विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुँचे की पुराने रिश्ते टूट चुके हैं और नए रिश्ते की शुरुआत हो चुकी है. एक विशेषज्ञ जुलिया नेवेथ का कहना है कि हंस अपने पार्टनर के प्रति बहुत ही वफ़ादार होते हैं. उनका कहना है, "जब तक दोनों जीवित रहते हैं, वो कोशिश करते हैं कि साथ ही रहें, जब वो कभी साथी बदलते हैं तो इसकी वजह मौत होती है, विकल्प नहीं." लेकिन दोनों जोड़े अपने-अपने नए साथी से क़रीब होते जा रहे हैं.