वेंकटरमण रामकृष्णन को नोबेल पुरस्कार
1952 में तमिलनाडु के चिदंबरम जिले में जन्में रामकृष्णन ने 1976 में एक अमेरिकन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली थी। आजकल वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मॉलिक्यूलर बायॉलजी डिपार्टमंट से जुड़े हुए हैं। रामकृष्णन के अलावा सी.वी.रमन, सी. चंद्रशेखर और हरगोविंद खुराना को भी साइंस के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।
रामकृष्णन के साथ अमेरिका के टॉमस ए. स्टेट्ज और इस्राइल की अडा.ई. योनथ को भी संयुक्त रूप से केमिस्ट्री का नोबेल मिला। अमेरिकी नागरिक टॉमस का जन्म 1940 में हुआ था। वह अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर बायॉफिजिक्स और बायॉकेमिस्ट्री के प्रफेसर हैं। अडा. ई. योनथ इस्राइली नागरिक हैं और उनका जन्म 1939 में यरूशलम में हुआ था।
रिबोसोम
नाम
रिबोन्यूक्लिइक
एसिड
और
ग्रीक
शब्द
सोमा
अर्थात
शरीर
के
मेल
से
बना
है।
यह
कण
कोषिका
के
डीएनए
को
पढ़ता
है
और
उसमें
निहित
आनुवंशिक
सूचनाओं
के
अनुसार
शरीर
के
अनगिनत
प्रोटीन
बनाता
है।
दूसरे
शब्दों
में
वह
हमारे
शरीर
की
संरचना
और
रासायनिक
स्तर
पर
इस
संरचना
के
नियंत्रण
का
काम
करता
है।
वह
डीएनए
के
रूप
में
लिखे
आनुवंशिक
कोड
को
समझ
कर
उसे
न्यूक्लिइक
ऐसिड
में
बदलता
है।
इसे
ट्रांसलेशन
यानी
अनुवाद
क्रिया
कहते
हैं।
साथ
ही
वह
अलग-अलग
अमाइनो
ऐसिड़ों
को
जोड़
कर
तथाकथित
पॉलीपेप्टाइड
कड़ियां
बनाता
है
और
संदेशवाही
आरएनए
की
सहायता
से
उन्हें
सही-सही
क्रमबद्ध
करता
है।
रिबोसोम आकार में केवल 20 नैनो मीटर जितने बड़े होते हैं। उनका पता सबसे पहले 1950 में रूमानिया के कोषिका वैज्ञानिक जिओर्जी पलादे ने लगाया था।