शशि शेखर को अब हिन्दुस्तान का जिम्मा
अमर उजाला अखबार को एक नया तेवर और कामकाज की प्रोफेशनल संस्कृति देने में शशि शेखर की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने 26 जुलाई 2002 को अमर उजाला, मेरठ में कार्यकारी संपादक के रूप में ज्वाइन किया था। शशि शेखर ने क्षेत्रीय अखबारों की ताकत को पहचाना और उसे मीडिया मे तेजी से हो रहे बदलावों से जोड़ा। इसका नतीजा यह हुआ कि छोटे-छोटे कस्बों के ब्यूरो में बैठा पत्रकार भी उस वक्त समाचार में इस्तेमाल हो रहे नए ट्रेंड से धीरे-धीरे परिचित होने लगा।
खबरों को अलग अंदाज में पेश्ा किया
उन्होंने खबरों को अलग अंदाज से देखने समझने, जनता की जरूरत और दिलचस्पी के मुद्दों को पकड़ने के बहुत आसान से सूत्र तैयार किए। नतीजा यह हुआ कि बिना बड़ी-बड़ी बातें किए और आदर्शवादिता की बघार लगाए खबरों का तेवर ज्यादा धारदार हुआ और उनकी पहुंच एक बड़े वर्ग तक होने लगी। अमर उजाला के अपने कार्यकाल में उन्होंने अपने अधीनस्थों की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रमोशन देकर पूरे-पूरे संस्करण की जिम्मेदारी दी।
हिन्दी मीडिया में पिछले सालों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले अखबार में शशि शेखर को आमंत्रित करना कहीं न कहीं इस बात संकेत है कि आने वाले समय में हिन्दी मीडिया ज्यादा प्रोफेशलन रूप लेने जा रहा है। खास तौर पर पिछले कुछ सालों में प्रिंट मीडिया पर लोगों का यकीन बढ़ा है और इस माध्यम ने बदलते वक्त के साथ नई शक्ल ली है।
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