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आखिर क्यों हुआ अमिताभ का राजनीति से मोहभंग?
राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन मौजूद सपा की राज्यसभा सासंद हैं तो वहीं कभी अमिताभ और रालोद नेता अमर सिंह की गहरी दोस्ती रही है बावजूद इसके अमिताभ राजनेताओं को तो पसंद करते हैं लेकिन राजनीति को नहीं।
बाल ठाकरे के चहेते रहे अमिताभ बच्चन इन दिनों गुजरात का विज्ञापन करते नजर आते हैं तो व्यक्तिगत रूप से वह मोदी के भी प्रिय हैं, इसके बावजूद अमिताभ को राजनीति रास नहीं आती है।
Did You Know: चुनावी समर में अप्रत्यक्ष रूप से अमिताभ कमल के साथ दिख रहे हैं
इसके पीछे कारण शायद यह है कि अमिताभ ने साल 1984 में दोस्त राजीव गांधी के कहने पर कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राजनीति का वो शर्मनाक और गंदा चेहरा देखा है जिसकी वजह से उनके दिल-दिमाग पर राजनीति की एक ऐसी तस्वीर छप गयी है जिसकी वजह से उन्हें राजनीति ही गंदी लगने लगी है। मालूम हो कि साल 1984 में इलाहाबाद से एमपी बनने के बाद ही कांग्रेस में बोफोर्स घोटाला सामने आया था।
जिसके छींटे राजीव गांधी के साथ-साथ अमिताभ बच्चन और उनके भाई अजिताभ बच्चन पर भी पड़े थे हालांकि अमिताभ बच्चन और उनके भाई दोनों इस मामले से बिल्कुल अनभिज्ञ थे और कुछ समय बाद यह साबित भी हो गया। लेकिन इस घटना क्रम ने अमिताभ के दिल-दिमाग पर ऐसा असर डाला जिसकी वजह से उनकी नजर में राजनीति की परिभाषा ही बदल गयी और उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया और मात्र तीन साल में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
आखिर चुनाव में अमिताभ किसके साथ?
मालूम हो कि अमिताभ का वापस राजनीति में कदम रखने वाला प्रश्न इसलिए दोबारा उठा है क्योंकि अपनी आने वाली फिल्म 'भूतनाथ रिटर्न्स' में वह एक ऐसे भूत के किरदार में दिखेंगे, जो चुनाव लड़ रहा है। जिसके बारे में अमिताभ ने कहा कि "मैं राजनीति में तटस्थ हूं और राजनीति में शामिल नहीं होंउंगा। रही बात फिल्म की तो इसमें मैंने एक रोल प्ले किया है क्योंकि मैं एक कलाकार हूं। गौरतलब है कि बीआर चोपड़ा प्रोडक्शन की फिल्म 'भूतनाथ रिटर्न्स' 11 अप्रैल को रिलीज हो रही है।
Did You Know: वैसे चुनावी समर में अप्रत्यक्ष रूप से अमिताभ कमल के साथ मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं क्योंकि गुजरात में मोदी सरकार ने अमिताभ को गुजरात टूरिज्म का ब्रांड एम्बेस्डर जो बनाया है। हालांकि अमिताभ ने अभी तक मोदी या भाजपा के लिए राजनीतिक स्तर पर प्रचार नहीं किया है। लेकिन भाजपा ने उनका नाम भुनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।