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प्रगति के लिए पितृ पक्ष में करें पूर्वजों को प्रसन्न

By पं. अनुज के शुक्ल
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श्राद्ध का अर्थ है, श्रद्धा, आस्था व प्रेम के साथ कुछ भी भेंट किया जाय। पितृ पक्ष पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन जल, जौ, कुशा, अक्षत, दूध, पुष्प आदि से उनका श्राद्ध सम्पन्न किया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है तथा पूर्वज प्रसन्न होकर पूरे वर्ष आपके दीर्घायु तथा प्रगति की कामना करते है।

विशेष मुहूर्त- शास्त्रों के अनुसार गृहस्थ को अपने पूर्वजों की निधन तिथि के दिन तृतीय प्रहर (अपरान्हकाल) में श्राद्ध करना चाहिए। इसलिए पितृकर्म में अपरान्हव्यापनी तिथि ग्रहण करनी चाहिए। इस वर्ष पितृ पक्ष 10 सितम्बर से प्रारम्भ होकर 24 सितम्बर तक रहेंगे।

तर्पण-प्रत्येक दिन मध्यान्ह 12 बजे से 1:30 मिनट के मध्य तर्पण करना उत्तम रहेगा।

तर्पण विधि- पीतल की थाली में विशुद्ध जल भरकर, उसमें थोड़े काले तिल व दूध डालकर अपने समक्ष रख लें एंव उसके आगे दूसरा खाली पात्र रख लें। तर्पण करते समय दोनों हाथ के अंगूठे और तर्जनी के मध्य कुश लेकर अंजली बना लें अर्थात दोनों हाथों को परस्पर मिलाकर उस मृत प्राणी का नाम लेकर तृप्यन्ताम कहते हुये अंजली में भरा हुये जल को दूसरे खाली पात्र में छोड़ दें। एक-2 व्यक्ति के लिए कम से कम तीन-तीन अंजली तर्पण करना उत्तम रहता है।

''ऊॅत्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्''। इस मन्त्र की 2 माला जाप करने के पश्चात पूजन स्थान पर रखें हुये जल के थोड़े भाग को आॅखों में लगायें, थोड़ा जल घर में छिड़क दें और बचे हुये जल को पीपल के पेड़ में अर्पित कर दें। ऐसा करने से घर से नकारात्मक उर्जा निकल जायेगी और घर की लगभग हर प्रकार की समस्या से आप मुक्त हो जायेंगे।

कैसे जाने पितृ दोष के बारें में-.. इसके लिए नीचे की स्लाइडों पर क्लिक कीजिये...

सन्तान

सन्तान

यदि आपके सन्तान नहीं हो रही है या फिर सन्तान आपका कहना नहीं मानती है और उसका विकास बाधित है तो आप पितृ दोष से पीड़ित है।

उदासी बनी रहती

उदासी बनी रहती

आये दिन परिवार में कलह का वातावरण बना रहता है या घर में उदासी बनी रहती है तो भी आप पितृ दोष के शिकार है।

रात को उलझन बैचनी

रात को उलझन बैचनी

बेवजह मन में उदासी छाई रहती हो या रात को उलझन बैचनी रहती हो।

आर्थिक हानि

आर्थिक हानि

निरन्तर आर्थिक हानि बनी रहती हो और हर कार्य में बाधा आताी हो।

टकराव की स्थिति

टकराव की स्थिति

भाई-भाई में और भाई बहन में या पिता-पुत्र हमेशा टकराव की स्थिति बनी रहती हो तो समझों की आपकी कुण्डली में पितृदोष अवश्य है।

पितरों को प्रसन्न करने के कुछ सरल उपाय-

पितरों को प्रसन्न करने के कुछ सरल उपाय-

1- पीपल व बरगद के पेड़ की नियमित पूजा करने से पितृ दोष का शमन होता है।
2- अपने माता-पिता व भाई-बहन की हर सम्भव सहयाता व सहयोग करें।
3- प्रत्येक अमावस्या को खीर का भोग लगाकर दक्षिण दिशा में पितरों का अवाहन करके ब्राह्रणों यथा शक्ति दक्षिणा देकर भोजन करायें।

पितरों को प्रसन्न करने के कुछ सरल उपाय-

पितरों को प्रसन्न करने के कुछ सरल उपाय-

4. सूर्योदय के समय सूर्य के सामने खड़े होकर गायत्री मन्त्र का जाप करने से लाभ मिलता है।
5- ऊॅ नवकुल नागाय विदहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात'' मन्त्र की एक माला का पितृ पक्ष में नियमित जाप करना चाहिए।
6- घर की पलंगों पर मोर का पंख लगाना चाहिए।
7- शनिवार के दिन प्रातः 9 बजे से 10: 30मि0 के मध्य में थोड़ा कोयला नदीं में प्रवाहित करना चाहिए।

निर्णय सिन्धु में- 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है

निर्णय सिन्धु में- 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है

1- नित्य श्राद्धः कोई भी व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुशा, पुष्प व फल से प्रतिदिन श्राद्ध करके अपने पितरों को प्रसन्न कर सकता है।
2- नैमित्तक श्राद्ध- यह श्राद्ध विशेष अवसर पर किया जाता है। जैसे- पिता आदि की मृत्यु तिथि के दिन इसे एकोदिष्ट कहा जाता है। इसमें विश्वदेवा की पूजा नहीं की जाती है, केवल मात्र एक पिण्डदान दिया जाता है।
3- काम्य श्राद्धः किसी कामना विशेष के लिए यह श्राद्ध किया जाता है। जैसे- पुत्र की प्राप्ति आदि।
4- वृद्धि श्राद्धः यह श्राद्ध सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है।

निर्णय सिन्धु में- 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है

निर्णय सिन्धु में- 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है

5- सपिंडन श्राद्ध- मृत व्यक्ति के 12 वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है। इसे स्त्रियाॅ भी कर सकती है।
6- पार्वण श्राद्धः पिता, दादा, परदादा, सपत्नीक और दादी, परदादी, व सपत्नीक के निमित्त किया जाता है। इसमेें दो विश्वदेवा की पूजा होती है।
7- गोष्ठी श्राद्धः यह परिवार के सभी लोगों के एकत्र होने के समय किया जाता है।
8- कर्मागं श्राद्धः यह श्राद्ध किसी संस्कार के अवसर पर किया जाता है।

निर्णय सिन्धु में- 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है

निर्णय सिन्धु में- 12 प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है

9- शुद्धयर्थ श्राद्धः यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।
10- तीर्थ श्राद्धः यह श्राद्ध तीर्थ में जाने पर किया जाता है।
11- यात्रार्थ श्राद्धः यह श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है।
12- पुष्टयर्थ श्राद्धः शरीर के स्वास्थ्य व सुख समृद्धि के लिए त्रयोदशी तिथि, मघा नक्षत्र, वर्षा ऋतु व आश्विन मास का कृष्ण पक्ष इस श्राद्ध के लिए उत्तम माना जाता है।

पितृ पक्ष के विशेष दिन

पितृ पक्ष के विशेष दिन

1- प्रतिपदा तिथि को नाना का श्राद्ध किया जाता है।
2- चतुर्थी या पंचमी तिथि में उसका श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु गतवर्ष हुयी है।
3- अपने जीवन काल में मरने वाली स्त्री का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है।
4- युद्ध, दुर्घटना या आत्महत्या आदि में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि में किया जाता है।
5- आमावस्या तिथि को सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।

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English summary
Pitru Paksha is a 16–lunar day period when Hindus pay homage to their ancestors, especially through food offerings.
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