जानिए नागपंचमी का महत्व और पूजा की विधि
आपकी राशि बतायेगी क्या करें नाग पंचमी के दिन
नागंपचमी त्यौहार मनाने का एक दूसरा कारण भी है। वर्षा के दिनों में सारे जीव-जन्तु अपने बिल से बाहर निकलकर किसी सुरक्षित स्थान की तलाश में भटकते है। ऐसे में ये जहरीले जीव-जन्तु हमारे घर में प्रवेश करके हमें नुकसान पहॅुचा सकते है। गावों में आज भी आप देख सकते है जो पुराने मकान है, उनमें घर के मुख्यद्वार पर उॅची देहली बनी होती है। ये देहली जीव-जन्तुओं के लिए बार्डर रेखा का काम करती है। जिससे आसानी से कोई जीव-जन्तु हमारे घर में प्रवेश नहीं कर पाता है। नागपंचमी के दिन देहली पर मिटटी की कटोरी में दूध रखा जाता है। यदि कोई जहरीला जीव-जन्तु हमारें घर में प्रवेश करने की कोशिश करेगा तो वह सबसे पहले वह रात्रि के अॅधेरे में चमकते हुये दूध देखकर आकर्षित होगा और ग्रहण करेगा।
आखिर दूध ही क्यों रखा जाता है ?
जितने भी जहरीले जीव-जन्तु है, उनके लिए दूध विष के समान है। यदि वे दूध ग्रहण करेंगे तो उनकी मृत्यु हो जायेगी। जैसे कहा जाता है कि शराब पीने के बाद दूध का सेंवन न करें क्योंकि शराब पीने के बाद दूध का सेंवन करने से वह शरीर में जहर बन जायेगा। ठीक इसी प्रकार यदि सर्प दूध ग्रहण कर लेगा तो उसकी मृत्यु हो जायेगी।
नागपंचमी पूजन विधि-
1-प्रातःकाल घर की साफ-सफाई करके नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान ध्यान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। पूजन के लिए सेंवई व चावल आदि ताजा भोजन बनायें। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन पहले भोजन बनाकर रख लिया जाता है और उसी भोजन को नागपंचमी के दिन सेंवन किया जाता है।
2- इसके बाद दीवार पर गेरू से पोतकर पूजन का स्थान बनायें। तत्पश्चात कच्चे दूध में कोयला घिस कर गेरू पुती दीवार पर घर बनायें जिसमें अनेक नागदेवताओं की आकृति बनातें है।
3- कुछ जगहों पर सोने, चांदी व लकड़ी की कलम से हल्दी व चन्दन की स्याही से मुख्य दरवाजे के दोनों साइड में पाॅच-2 फनों वाले नागदेवता के चित्र बनाते है।
4- सर्वप्रथम नागों की बाबी में एक कटोरी दूध चढ़ाते है उसके बाद दीवार पर बने नागदेवताओं की दही, दूर्वा, चावल, दूर्वा, सेमई व सुगन्धित पुष्प व चन्दन से पूजन करते है।
विशेष-
यदि किसी की कुण्डली में कालसर्प दोष है तो वे जातक निम्न मन्त्र ''ऊॅ कुरूकुल्ले फट स्वाहा'' का जाप करें। नागपंचमी के दिन इस मन्त्र का जाप करने से कालसर्प दोष में कमी आयेगी।