अब गुरू ने किया कर्क राशि में गोचर: अब महंगाई होगी कम
दार्शनिकता के प्रतीक गुरू बृहस्पति लोगों को ज्ञान, शिक्षा, न्याय, परोपकार, सेवा करने के लिए प्रेरित करते रहते है। सभी ग्रह बृहस्पति को अपना गुरू मानते है, इसलिए गुरू प्रधान वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों को उपदेश और ज्ञान बांटा करता है।
बृहस्पति ग्रह सभी ग्रहों के सम्मलित आकार से भी बड़ा है, इसलिए इसे गुरू कहा जाता है। इसका व्यास 9,86,720 मील माना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 36,70,00,000 मील की दूरी तक आ जाता है। बृहस्पति की गति 8 मील प्रति सैकिण्ड है। यह अपनी धुरी पर प्रायः 10 घण्टों में धूमता है अथवा 12 वर्ष में एक प्रदिक्षणा पूरी कर लेता है। गुरू एक राशि में एक वर्ष तक भ्रमण करता है।
विक्रम संवत् 2071 में अषाढ़ कृष्ण पक्ष दिनांक 19 जून 2014 ई को, मीन राशिस्थ चन्द्रमा के समय गुरू सुबह 8:47 मिनट पर कर्क राशि में में गोचर करना प्रारम्भ कर चुका है जो कि पूरे वर्ष कर्क राशि में ही संक्रमण करता रहेगा।
गुरू के कर्क राशि में गोचर करने वर्षा कम होती है एंव शासको में कलह, विग्रह हो और दुर्भिक्ष पड़ने की आशंका होती है। अषाढ़ मास में गुरू के राशि परिर्वतन से मुख्य मंत्रियों के शासन से जनता दुःखी होगी। नये प्रकार की क्रान्ति व पूर्वोत्तर राज्यों में वर्षा अच्छी होती है। दक्षिणी प्रदेशों में भी वर्षा बेहतर होने के आसार। गुरू के कर्क में गोचर करने पर मॅहगाई में कुछ कमी आने के संकेत है।
गुरू का राशियों पर प्रभाव-
मेष
इस राशि पर गुरू स्वर्ण पाद रहेगा जिसके फलस्वरूप शरीर में अरोग्यता आयेगी यानि जो लोग लम्बे समय रोग ग्रस्त है, उन्हे आराम मिलेगी। वाहन आदि की खरीद्दारी हो सकती है। सन्तान का सुख एंव धन का आगमन होने के आसार।
वृष
ताम्रपाद का गुरू होने से शासन से लाभ हो सकता है। कुछ लोगों की पद,प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कार्यो को करने में उत्साह की वृद्धि होगी। लेखन से जुड़े लोगों को विशेष लाभ हो सकता है।
मिथुन
रजत पाद का गुरू जीवन साथी से रिश्तों में मधुरता बनायें रखने में मद्द करेगा। आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। धार्मिक कार्यो में रूचि बढ़ेगी। सम्बन्धों में मजबूती ओयगी।
कर्क
लौह पाद का गुरू होने से स्वजनों से विरोध होने की आशंका। म्लेक्ष लोगोे से किसी प्रकार की हानि हो सकती है। परिवार व भाई, बन्धुओं से मनमुटाव बना रहेगा।
सिंह
ताम्रपाद का गुरू जीवन साथी का सहयोग व प्रेम बना रहेगा। कार्य व व्यापार में लाभ बना रहेगा। प्रशासनिक लोगों को स्थान परिर्वतन करना पड़ सकता है। निज सम्बन्धों में मधुरता आयेगी।
कन्या
स्वर्ण पाद का गुरू निज सम्बन्धों में विरोधात्मक रूख बना रहेगा एंव अपने ही लोग आपको परेशान करने का प्रत्यन करेंगे। मानसिक चिन्ता रहेगी। शत्रुओं की वृद्धि होगी। कुछ नयें अवसर भी प्राप्त होंगे। रोग से सावधान रहें।
तुला
रजत पाद का गुरू आपको सन्तान सुख में वृद्धि करायेगा। छात्रों का विद्या अध्ययन में मन लगेगा। अध्यात्म में रूचि बढेगी। स्वयं के विवके के द्वारा लिये गये निर्णयों से लाभ होगा।
वृश्चिक
लौह पाद का गुरू भूमि या प्रापर्टी की खरीद्दारी करा सकता है। सन्तान की ओर से मन प्रसन्न रहेगा। जीवन साथी के साथ मधुरतम पल व्यतीत होंगे। कुछ लोग वाहन का क्रय कर सकते है।
धनु
ताम्र पाद का गुरू कठिन श्रम व सेवाओं से उपलब्धि प्राप्त होगी। मेहनत से धन की प्राप्ति सम्भव नजर आ रही है। जिन लोगों के सरकरी काम फॅसे हुये है, वे प्रयास करेंगे तो सफलता मिलेगी।
मकर
रजत पाद का गुरू होने से विभिन्न प्रकार भौतिक वस्तुओं का क्रय होने की आसार नजर आ रहें है। मित्रों के साथ मनोरंजन करने के अवसर उपलब्ध होंगे। अरोग्यता एंव सत्संग करने का अवसर प्राप्त होगा।
कुम्भ
स्वर्ण पाद का गुरू पारिवारिक माहौल का सुखद बनायेगा। मित्र वर्ग से लाभ हो सकता है। भाग्य पक्ष आपका साथ देगा। रोगियों को लाभ होगा। शासन से लाभ होगा।
मीन
लौह पाद का गुरू होने से कुछ मित्रों से बैर उत्पन्न हो सकता है। गृह क्लेश से मानसिक चिन्ता बनी रहेगी। व्यर्थ में धन का व्यय होगा। प्रशासनिक लोगों को शासन से भय रहेगा।