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जानिए क्यों महत्वपूर्ण है महामृत्युंजय मन्त्र?

By पं. अनुज के शुक्ल
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जन्मकुण्डली में सूर्यादि ग्रहों के द्वारा किसी प्रकार की अनिष्ट की आशंका हो या मारकेश आदि लगने पर, किसी भी प्रकार की भयंकर बीमारी से आक्रान्त होने पर, अपने बन्धु-बन्धुओं तथा इष्ट-मित्रों पर किसी भी प्रकार का संकट आने वाला हो।

देश-विदेश जाने या किसी प्राकर से वियोग होने पर, स्वदेश, राज्य व धन सम्पत्ति विनष्ट होने की स्थिति में, अकाल मृत्यु की शान्ति एंव अपने उपर किसी तरह की मिथ्या दोषारोपण लगने पर, उद्विग्न चित्त एंव धार्मिक कार्यो से मन विचलित होने पर महामृत्युंजय मन्त्र का जप स्त्रोत पाठ, भगवान शंकर की आराधना करें।

यदि स्वयं न कर सके तो किसी पंडित द्वारा कराना चाहिए। इससे सद्बुद्धि, मनःशान्ति, रोग मुक्ति एंव सवर्था सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष से पूछें सवाल, पाइये समस्याओं के समाधानज्योतिष से पूछें सवाल, पाइये समस्याओं के समाधान

महामृत्युंजय के अनुष्ठान एंव लधु रूद्र, महारूद्र तथा सामान्य रूद्राअभिषेक प्रायः होते ही रहते है, लेकिन विशेष कामनाओं के लिए शिर्वाचन का अपना अलग विशेष महत्व होता है। महारूद्र सदाशिव को प्रसन्न करने व अपनी सर्वकामना सिद्धि के लिए यहां पर पार्थिव पूजा का विधान है, जिसमें मिटटी के शिर्वाचन पुत्र प्राप्ति के लिए, श्याली चावल के शिर्वाचन व अखण्ड दीपदान की तपस्या होती है। शत्रुनाश व व्याधिनाश हेतु नमक के शिर्वाचन, रोग नाश हेतु गाय के गोबर के शिर्वाचन, दस विधि लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मक्खन के शिर्वाचन अन्य कई प्रकार के शिवलिंग बनाकर उनमें प्राण-प्रतिष्ठा कर विधि-विधान द्वारा विशेष पुराणोक्त व वेदोक्त विधि से पूज्य होती रहती है।

ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं।

आगे की खबर स्लाइडो में..

महामृत्युंजय के जाप का तरीका

महामृत्युंजय के जाप का तरीका

आगे स्लाइडर में आप पढ़ेंगे कि अलग-अलग समस्याओं के हल के लिये महामृत्युंजय जाप कैसे और कितनी बार करना चाहिये।

कामना विशेष में जप संख्या-

कामना विशेष में जप संख्या-

राष्ट्र विनाशोन्मुख की स्थिति में आ गया हो अर्थात अपने देश पर किसी शत्रु द्वारा आक्रमण होने पर, देश ग्राम में महामारी हैजा, प्लेग, डेंगू आदि बामारी आने पर उसकी शन्ति के लिए एक करोड़ महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करवाना चाहिए।

सवा लाख मन्त्र का जाप

सवा लाख मन्त्र का जाप

किसी भी प्रकार की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए तथा अनिष्ट सूचक स्वप्न देखने पर शुभफल की प्राप्ति हेतु सवा लाख मन्त्र का जाप करवायें।

दस हजार मन्त्र का जाप

दस हजार मन्त्र का जाप

अपमृत्य अर्थात अग्नि में जलकर, पानी में डूबकर, सर्प आदि किसी विषधर जन्तु के काटने पर उसके दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए दस हजार मन्त्र का जाप करवायें।

सफल यात्रा के लिए जाप

सफल यात्रा के लिए जाप

अपने विषय में स्वजनों व इष्टमित्रों के सम्बन्ध में किसी प्रकार के भी अनिष्ट सूचक समाचार मिलने पर तथा सफल यात्रा के लिए एक हजार महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करवाना चाहिए।

पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए जाप

पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए जाप

अपनी अभीष्ठ सिद्ध, पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति, राज्य प्राप्ति एंव मनोनुकूल सम्मान प्राप्त तथा प्रचुर धन-धान्य प्राप्ति करने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करवाना लाभप्रद साबित होता है।

विविध कामनानुसार हवनीय द्रव्य-

विविध कामनानुसार हवनीय द्रव्य-

वैसे तो सामान्य हवन विधान में यव, तिल, चावल, घी, चीनी और पंचमेवा ही प्रधान है, किन्तु किसी विशेष कामना के लिए जप किया गया हो, तो निम्नलिखित द्रव्यों का हवन करें।

दूध, दही, दूर्वा, बिल्वफल....

दूध, दही, दूर्वा, बिल्वफल....

यदि सवा लाख महामृत्युंजय मन्त्र का जप किया गया हो तो दूध, दही, दूर्वा, बिल्वफल, तिल, खीर, पीली सरसों, बड़, पलाश तथा खैर की समिधा (लकड़ी) को क्रमशः शहद में डुबोकर हवन करें।

धन-धान्यादि की उपलब्धि के लिए

धन-धान्यादि की उपलब्धि के लिए

किसी भी रोग से हमेशा के लिए मुक्ति पाने के लिए, शत्रु पर विजय, दीर्घायुष्य, पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति एंव प्रचुर धन-धान्यादि की उपलब्धि के लिए सुधाबल्ली (गुरूच) की चार-चार अंगुल की लकड़ी से हवन करें।

लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए

लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए

मनचाही लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए बिल्वफल का हवन करना चाहिए।

लकड़ी से हवन

लकड़ी से हवन

ब्रहम्त्व सिद्धि के लिए पलाश की लकड़ी से हवन करना चाहिए।

धन प्राप्ति के लिए

धन प्राप्ति के लिए

प्रचुर धन प्राप्ति के लिए वट की लकड़ी से हवन करें।

सौन्दर्य प्राप्ति के लिए

सौन्दर्य प्राप्ति के लिए

सौन्दर्य प्राप्ति के लिए खैर की लकड़ी से हवन करें।

पाप विनाश के लिए

पाप विनाश के लिए

अधर्मादि पाप विनाश में तिल से हवन करें।

शत्रु नाश के लिए

शत्रु नाश के लिए

शत्रु नाश में सरसों से हवन करना लाभप्रद रहता है।

यश के लिए

यश के लिए

यश एंव श्री प्राप्ति के लिए खीर से हवन करें।

मृत्यु के विनाश के लिए

मृत्यु के विनाश के लिए

कृत्या (जादू-टोना, पिशाच आदि ) एंव मृत्यु के विनाश के लिए दही से हवन करना चाहिए।

रोग क्षय करने के लिए

रोग क्षय करने के लिए

रोग क्षय करने के लिए तीन-तीन दूर्वाओं के कुरों से हवन करना चाहिए।

प्रबल ज्वर से विमुक्ति पाने के लिए

प्रबल ज्वर से विमुक्ति पाने के लिए

प्रबल ज्वर से विमुक्ति पाने के लिए अपामार्ग की लकड़ी में पकायी हुयी खीर से हवन करें।

किसी व्यक्ति को अपने वश में करना हो

किसी व्यक्ति को अपने वश में करना हो

किसी व्यक्ति को अपने वश में करना हो, तो गाय के दूध और घी मिश्रित दूर्वांकुरों से हवन करें।

बीमारी से मुक्ति पाने के लिए

बीमारी से मुक्ति पाने के लिए

किसी प्रकार की बीमारी से मुक्ति पाने के लिए काशमीरी फूल की तीन-तीन लकडि़याॅ तथा दूध और अन्न की आहूति करनी चाहिए।

'स्वाहा' शब्द का उच्चारण जरूर करें

'स्वाहा' शब्द का उच्चारण जरूर करें

हवन करते समय प्रत्येक आहूति में 'स्वाहा' शब्द का उच्चारण जरूर करें, हवन करने के पश्चात् एक पात्र में दूध मिश्रित जल लेकर 'महामृत्युंजय तर्पयामि' अथवा 'अमुक' तर्पयामि कहकर तर्पण करें। जप यदि स्वयं किया गया हो तो दूर्वकुरों से जल लेकर अपने शरीर पर या यजमान के लिए किया गया हो, तो यजमान के शरीर पर दशांश संख्या के अनुसार मार्जन भी करना चाहिए।

Comments
English summary
Mahamrityunjaya Mantra is one among the finest Mantra's in Indian Mythology and Spirituality belongs to Lord Shiva.It is a combination of three hindi language words i.e. Maha which means Great , Mrityun means Death and Jaya means Victory.
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