31 मार्च 2014 से होगा भारत विकास के मार्ग पर अग्रसर
पाश्चात्य परम्पराओं का अन्धानुकरण करना क्या आधुनिकता है ? क्या अपनी मूल संस्कृति को विस्मृत कर विदेशी संस्कृतियों को अपनाना आधुनिकता है ? अपनों को भूलकर चकाचौंध की दुनिया में व्यस्त रहना क्या आधुनिकता की श्रेणी में आता है ? वृद्ध माता-पिता से दो मीठे बोल न बोलकर उन्हे रोज ताने देना क्या ये आधुनिकता है ? यह ठीक है कि पाश्चात्य के तकनीकी ज्ञान का अनुकरण कराना बहुत उम्दा विचार है, लेकिन इसका लाभ तभी मिल सकता है, जब हमारा व्यक्तित्व मौलिक संस्कृति व संस्कारों के सूत्र से बॅधा हो। आइये हम-सब मिलकर प्राकृतिक नववर्ष पर शपथ ले जातिवाद, धर्मवाद और क्षेत्रवाद को भूलकर मानव धर्म व राष्ट्रवाद का पालन करके भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में अपना अधिकतम योगदान देगें।
भारतीय कालगणना के अनुसार 31 मार्च 2014 को सृष्टि की 1,95, 58, 85, 115 वीं जयन्ती मनाई जायेगी। भारतीय इतिहास में विख्यात सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रमी संवत् का प्रवर्तन किया था, जो आज भी लोकप्रिय है। नूतन स्ंवत्सर 2071 का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 31 मार्च 2014 दिन सोमवार से हो रहा है। भारतीय पंचाग विज्ञान के अनुसार प्लवंग नामक सवंत्सर जिसकी मन्त्रिपरिषद इस प्रकार है- राजा-चन्द्र, मन्त्री-चन्द्र, धनेश-मंगल, धान्येश-मंगल, सस्येश- बुध, मेघेश- सूर्य, रसेश-शुक्र, नीरसेश-बुध, फलेश-शनि, दुग्रेश-शनि।
प्लवंग नामक संवत् 2071 का राजा चन्द्र है एंव मन्त्री भी चन्द्र है। दोनों प्रमुख पद चन्द्रमा के अधिकार क्षेत्र में रहने से इस वर्ष देश में काफी हलचल पूर्ण माहौल रहेगा। चन्द्रमा मन का कारक है और एक स्त्री ग्रह है। जिस कारण महिलाओं के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि होगी व सुरक्षा के कठोर कानून बनेंगे। स्त्रियों की उन्नति होगी। राजनैतिक व सामाजिक मंच पर महिलाओं का बोलबला रहेगा। राजा चन्द्र होने के कारण देश के पीएम की मानसिक क्षमता व्यापक एंव प्रबल होगी।
मन्त्री भी चन्द्र होना इस बात का सूचक है कि विदेश नीति में कुछ ऐसे कठोर निर्णय लिये जायेंगे जिससे भारत का विश्व पटल पर डंका बज सकता है। खगोलीय दृष्टि से चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का निकटतम गृह है। इसके घटने-बढ़ने से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। भारत के पूर्वी-उत्तरी राज्यों में महामारी, सूनामी या अन्य किसी प्रकार की प्राकृतिक विपदा के कारण काफी संख्या में जन हानि होने की आशंका है। दिल्ली, मुम्बई, उड़ीसा, कलकत्ता व गुजरात आदि जगहों में से किसी स्थान पर भूकम्प आने के संकेत नजर आ रहें है। धनेश मंगल होने से देश में लगभग सभी प्रकार का उत्पादन अच्छा होगा। सर्दी, गर्मी और वर्षा अच्छी होने की आशा है।
इस वर्ष का दुग्रेश शनि है, इसलिए अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं पर पैनी नजर रखनी होगी। मन्त्री चन्द्र होने से राजा को चाटुकार लोगों से सावधान रहना होगा। धान्येश मंगल के कारण विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होगी एंव भारत की आर्थिक दशा में सुधार होगा। इस वर्ष का रसेश शुक्र है इसलिए रस वाले पदार्थ महॅगें होने के आसार है। देश में भ्रष्टाचार रहने के बावजूद भी भारत विकास के मार्ग पर अग्रसर रहेगा। आतंकवाद व नक्सलवाद पूरी दुनिया में अशान्ति का कारण बना रहेगा।
मैं अपने पाठकों के लिए शुभ कामना करता हॅू कि आने वाला वर्ष उनके लिए अरोग्यता व समृद्धिदायक सिद्ध हो।