मंत्र संस्कार से घर में लायें सुख-समृद्धि
मंत्रों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर चर्चा करने के बाद हम आपको बता रहे हैं कि मंत्र जाप करने के भी कुछ नियम होते हैं। यदि आप उन नियमों का पालन करेंगे तो आपके घर में न केवल सुख-शांति आयेगी, बल्कि आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। ऐसे में आपको मंत्र संस्कार के बारे में भी जानना चाहिये।
जातक
को
दीक्षा
ग्रहण
करने
के
बाद
दीक्षिति
को
चाहिए
कि
वह
अपने
इष्ट
देव
के
मंत्र
की
साधना
विधि-विधान
से
करें।
किसी
भी
मंत्र
की
साधना
करने
से
पूर्व,
उस
मंत्र
का
संस्कार
अवश्य
करना
चाहिए।
शास्त्रों
में
मंत्र
के
10
संस्कार
वर्णित
है।
मंत्र संस्कार निम्न प्रकार से है- 1-जनन, 2- दीपन, 3- बोधन, 4- ताड़न, 5- अभिषेक, 6- विमलीकरण, 7- जीवन, 8- तर्पण, 9- गोपन, 10- अप्यायन।
1-जनन संसकार गोरचन, चन्दन, कुमकुम आदि से भोजपत्र पर एक त्रिकोण बनायें। उनके तीनों कोणों में छः-छः समान रेखायें खीचें। इस प्रकार बनें हुए 99 कोष्ठकों में ईशान कोण से क्रमशः मातृका वर्ण लिखें। फिर देवता को आवाहन करें, मंत्र के एक-एक वर्ण का उद्धार करके अलग पत्र पर लिखें। इसे जनन संस्कार कहा जाता है।
2- दीपन संसकारः ’हंस’ मंत्र से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र का जाप करना चाहिए।
3- बोधन संसकारः ’हूं’ बीज मंत्र से सम्पुटित करके 5 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
4- ताड़न संसकार ’फट’ से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
5- अभिषेक संसकारः मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर ’ ऊँ हंसः ऊँ’ मंत्र से अभिमंत्रित करें, तत्पश्चात 1 हजार बार जप करते हुए जल से अश्वत्थ पत्रादि द्वारा मंत्र का अभिषेक संस्कार करें।
6- विमलीकरण संसकारः मंत्र को ’ऊँ त्रौं वषट’ इस मंत्र से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
7- जीवन संसकारः मंत्र को ’स्वधा-वषट’ से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
8- तर्पण संसकार: मूल मंत्र से दूध ,जल और घी द्वारा सौ बार तर्पण करना चाहिए।
9- गोपन संसकारः मंत्र को ’ ह्रीं ’ बीज से सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
10- आप्यायन संसकारः मंत्र को ’ ह्रीं ’ सम्पुटित करके 1 हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
इस प्रकार दीक्षा ग्रहण कर चुके जातक को उपरोक्त विधि के अनुसार अपने इष्ट मंत्र का संस्कार करके, नित्य जाप करने से सभी प्रकार के दुःखों का अन्त होता है।