कविता: एक और थप्पड़ मारो मां...
और कितना ठेस पहुँचाता था तुम्हारे कोमल मन को मुझे मालूम है मां .
उस समय.... मुझे ये अक्ल कहाँ थी मां कि मैं समझ पाता,
तुम्हारी मार का अर्थ, उसका मतलब निकाल पाता .
तुम्हारी मार का वज़न कितना नपा-तुला होता था नहीं भूला हूँ मां
मज़ाल है कभी ज़्यादा चोट पहुँची हो, या कभी ख़रोंच आयी हो .
'मदर्स डे' स्पेशल: मां तुम ही मेरी कामयाबी...
तुम्हारी
हर
पिटाई,
चांटों
और
थप्पड़ों
में,कितनी
चिंता,
कितनी
सीख,
कितना
प्यार
था
और
तुम्हारी
दुलार
भरी
हथेलियों
का
स्पर्श
पाते
ही
मैं
सब
दर्द
भूल
जाया
करता
था.
ऐसा
क्यों
होता
है
माँ
कि,
जो
हमसे
सबसे
ज़्यादा
प्रेम
करता
है,
हम
उसे
ही
सबसे
ज़्यादा
कष्ट
पहुँचाते
हैं.
मैं
जानता
हूँ
मैं
ही
बुरा
था
अनेकों
बार
मैं
तुम्हारा
दिल
दुखाया
करता
था
पर
तुम
सब
सह
लेतीं
,अपना
हाथ
रोक
लेती
थीं
,
क्योंकि
मैं
अब
बड़ा
जो
होते
जा
रहा
था.
हमें
पालने
और
सुख
देने
के
लिए
तुमने
वो
सब
त्याग
किया
जो
-
जो
तुम
कर
सकती
थीं.
तुम्हारे
किए
का
एक
अंश
भी,
न
तो
मैं
लौटा
पाया
और
न
लौटा
पाउँगा
माँ.
तुम्हारी
साथी
वो
घड़ी
मुझे
याद
है
जिसकी
टिक-टिक
के
सहारे
तुम्हारी
खुली
आँखों
ने
मेरे
लिए
,कई
-
कई
रातों
को
गुज़रते
देखा
है
वो
नींद,वो
रातें
मैं
तुम्हे
कैसे
लौटा
पाउँगा
मां
.
जीवन
का
पाठ
मुझे
तुमने
सिखाया,
मुझे
बोलना
,
गाना,
चलना
तुमने
सिखाया
तुम
मेरी
गुरु
हो,
मेरा
आदर्श
हो,मार्गदर्शक
हो,
आज
भी
तुम्हारी
सीख
की
ही
खा
रहा
हूँ
माँ.
दुःख
की
घड़ी
में
दूसरों
का
सदा
साथ
देने
और
उन्हें
मदद
करने
की
अनमोल
सीख
हमें
तुम्ही
से
मिली
है
मां.
तुम्हारा
भोलापन,
तुम्हारी
सबसे
बड़ी
दौलत
है
जो
आज
तलक
तुम
हम
सब
पर
लुटा
रही
हो
माँ.
तुम
अक्सर
कहा
करती
थीं
,
कुछ
बातें
माँ
-
बाप
बनकर
ही
समझ
में
आती
हैं
ये
बात
मैं,
अब
समझ
पाया
हूँ
मां
.
इसके
पहले
कि
देर
हो
जाए
,एक
बार
फिर
याद
करो
माँ,
सुलगा
लो
अपना
गुस्सा,
थोड़ा
सा
ही
सही,
उठाओ
अपना
हाथ
और
दो
मुझे
सज़ा.
मुझे
सज़ा
दो
मेरी
उन
तमाम
गुस्ताख़ियों
और
ग़लतियों
के
लिए,
जिन्हें
तुम
बिलकुल
भुला
चुकी
हो
मां
.
मैं
जानता
हूँ
तुम
अब
भी
दुआएँ,
कोई
क़ुर्बानी
तो
दे
सकती
हो
-
पर
ये
न
कर
सकोगी,
फिर
,
मैं
कैसे
समझूँ
माँ......
कि
तुमने
उन
बातों
के
लिए
भी
मुझे
मांफ़
कर
दिया
है
जिन्हें
तुम
नहीं
जानतीं
,
जिनकी
सज़ा
का
मैं
हक़दार
हूँ
?
ठीक
है...
सज़ा
न
सही
,मुझे
एक
और
आशीर्वाद
दो
माँ
,
झूठ-मूठ
ही
सही
पर
एक
बार,
मेरे
लिए
एक
बार.....
मुझे
ज़ोर
से
-
एक
और
थप्पड़
मारो
मां
.