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कविता: जय होवे माँ सरस्वती, विनय करूँ कर जोर

By 'चेतन' नितिनराज खरे
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जय होवे माँ सरस्वती, विनय करूँ कर जोर
उर का हरिये वेग तम, दीजै सुमति बहोर
दीजै सुमति बहोर माँ ,हम बालक हैं अज्ञान
त्राहि त्राहि जग में करें, दीजै शक्ति महान

माँ आये हैं दर आपके ,हमको यह वरदान दो
मान ध्यान करें आपका,सद्बुद्धि व ज्ञान दो
विनय करूँ हे मात,पूजि कर चरण तिहारे
भजें तुझे दिन रात, शारदे हम दुखियारे
भरो ज्ञान भण्डार, दूर करो अंधियारे

हम आये हैं द्वार, हँसवाहिनी के सारे
तुम देवी संगीत की, हैं हर साज तुमसे माँ
तुम जननी गीत की, हैं सब राज तुमसे माँ
करें मात हम ध्यान ,सदा ही शारद तेरा
हमको भी दो ज्ञान,चरण वंदन है मेरा

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English summary
Oneindia Special: A Impressive Poetry on Maa Saraswati by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare Chitravanshi.
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