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कविता: हिन्दी अति प्राचीन है, युगों से इसका राज
हिन्दी अति प्राचीन है ,युगों से इसका राज
इसके ही वर्णों में बसे ,सब गीतों के साज
सब गीतों के साज , पुराणों की यह भाषा
इस भारत की शान ,करे जन जन में वासा
कहें कवि 'चेतन नितिन',सुहागिन की यह बिंदी
कर दूर पश्चिमी भाषा ,चले इस युग में हिन्दी
संस्कृत
हिन्दी
दो
स्तम्भ
,इस
संस्कृति
के
आधार
युगों
युगों
से
बसा
,इनमे
वेदों
का
सार
इनमे
वेदों
का
सार
,हो
बस
इनमे
निष्ठा
यह
बोलो
नि:संकोच
,बढ़ेगी
बहुत
प्रतिष्ठा
कह
रहे
'चेतन
नितिन'
,करो
फिर
इन्हें
अलंकृत
युगों
युगों
तक
फिर
हों
,अमर
ये
हिन्दी
संस्कृत
अंग्रेजी
को
है
तजकर
,
हो
हिन्दी
का
प्रवाह
हिन्दी
भाषी
देश
में
,सुगम
हो
सबकी
राह
सुगम
हो
सबकी
राह
,देश
नित
करे
तरक्की
हो
सबका
भय
दूर
,सेवायें
हो
फिर
पक्की
कहते
'चेतन
नितिन',विद्वानों
ने
यह
सेजी
वेद-व्यास
की
माटी
से
,दूर
हो
यह
अंग्रेजी
English summary
A Impressive Poetry on hindi written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare chitravanshi.
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